लक्ष्य-भाषा और स्त्रोत-भाषा में समान अभिव्यक्तिपरक शब्दों के अभाव से क्या होता है?

1. लक्ष्य-भाषा और स्त्रोत-भाषा में समान अभिव्यक्तिपरक शब्दों के अभाव से क्या होता है?

उत्तर - प्रायः स्त्रोत-भाषा का कथ्य लक्ष्य-भाषा में कहीं अपेक्षाकृत विस्तार प्राप्त कर लेता है, तो कहीं-कहीं संकुचित हो जाता है और कहीं-कहीं स्वरूप भिन्न भी हो जाता है। इसका कारण है लक्ष्य-भाषा और स्त्रोत-भाषा में समान अभिव्यक्तिपरक शब्दों का अभाव, जिसके कारण वाक्य रचना विस्तार प्राप्त कर लेती है या संकुचित हो जाती है। 

Lakshya-bhasha aur strot-bhasha me saman abhivyaktiparak shbdon ke abhav se kya hota hai?

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