प्लेटो काव्य-प्रेरणा को सत्य से हीन होने के कारण समाज के लिए कैसा मानता है?

1. प्लेटो काव्य-प्रेरणा को सत्य से हीन होने के कारण समाज के लिए कैसा मानता है?

उत्तर - प्लेटो काव्य-प्रेरणा को सत्य से हीन होने के कारण समाज के लिए समाज के लिए अनुपयोगी मानता है। 

Plato kavya-prerna ko satya se hin hone ke karan samaj ke liye kaisa manta hai?

Samaj ke liye anupyogi manta hai.

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