1. चर्यापद क्या है?
उत्तर - चर्यापद - 'चर्या' छोटी-छोटी कविताएँ हैं। इसमें 'सहजिया' सम्प्रदाय के नाम से विख्यात उत्तरवर्ती तांत्रिक बौद्धों के एक अवस्थापन विशेष के सिद्धांत संकलित हैं। वे आत्मसाक्षात्कार के सबसे 'सहज' (सुगम, स्वाभाविक और सीधे) मार्ग का समर्थन करते थे। अतः वे कठोर तप-साधना, अनम्य नियम-संयम को हेय समझते थे।
अनेक मत से परम सत्य का साक्षात्कार पिंड में ही हो सकता है, इस पंचतत्वमय शरीर में जो चराचर जगत का लघुरूप है, जो विराट की सूक्ष्म प्रतिकृति है इसके लिए वह विशेष रहस्य साधन करते थे तथा उपदेश भी करते थे। इस काम के लिए महायानी दार्शनिकों ने उन्हें आधार दिया।
विशेषता -
- इन चर्या-पदों में साहित्यिक गरिमा का अभाव नहीं था। धार्मिक भावनाओं के दार्शनिक विचारों का उच्च समाज के लिए स्तरीय साहित्य में प्रकट करना आवश्यक था।
- उनके इसी ताने-बाने में हमें बंगाल के भूगोल, जन-जीवन अवस्थानों, सामाजिक बंधनों और धार्मिक क्रिया-कलापों की झाँकियों के दर्शन होते हैं।
- चर्यापद की कुछ विशेष मार्मिक पंक्तियाँ आज हमारे घरों में कहावतें बन चुकी हैं।
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