हयवदन नाटक के कथानक की समीक्षा कीजिये।

1. हयवदन नाटक के कथानक की समीक्षा कीजिये। 

उत्तर - हयवदन नाटक के कथानक की समीक्षा को दो भाग में बाँटकर प्रस्तुत किया गया है जो की इस प्रकार है -

  1. उपकथा। 
  2. मूलकथा। 
1. हयवदन उपकथा से ही प्रारम्भ होता है एवं बाद में मूलकथा का प्रयोग होता है, किन्तु उसका अंत उपकथा द्वारा ही होता है। हयवदन एक लोकनाट्य है अतः प्राचीन एवं लोकनाट्य शैली से ही वह प्रारम्भ होता है। नाटक का प्रारम्भ सूत्रधार भागवत द्वारा होता है। यह गणेश वंदना से प्रारम्भ करता है यह कथा वस्तु संक्षेप में निम्न प्रकार है - 

2. मूलकथा - देवदत्त और कपिल दो मित्र हैं, देवदत्त का विवाह पद्मिनी से होता है। कपिल भी उस पर आसक्त हो जाता है। देवदत्त कोमल शरीर का कवि है एवं कपिल कठोर शरीर का सशक्त पुरुष! देवदत्त, कपिल और पद्मिनी यात्रा पर जाते हैं वहाँ देवदत्त और कपिल के सिर कट जाते हैं। पद्मिनी देवी की स्तुति करती है तब देवी वरदान देती है कि दोनों के सिर धड़ों पर रख दो वे जीवित हो जाएंगे। पद्मिनी भूल से कपिल का सिर देवदत्त के धड़ पर एवं देवदत्त का सिर कपिल के धड़ पर रख देती है। इस अदलाबदली में द्वन्द होता है। बाद में देवदत्त का पुत्र बचता है एवं अंत में तीनों की मृत्यु हो जाती है। देवदत्त एवं कपिल आपस में द्वन्द युद्ध में मारे जाते हैं। 

Hayvadan natak ki kathavastu ki samiksha kijiye?

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