1. सूफी कवि मंझन कृत 'मधुमालती' का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर - कवि मंझन के जीवन वृत्त के सम्बन्ध में विशेष जानकारी प्राप्त नहीं हो पायी है। रामपुर स्टेट लाइब्रेरी से 'मधुमालती' की अधूरी पाण्डुलिपि प्राप्त हुई है। इस कृति का रचना-काल सन् 1545 ई. माना जाता है। इस कृति में कनेसर नगर के राजकुमार मनोहर और महारस नगर की राजकुमारी मधुमालती की प्रेमकथा द्वारा निस्वार्थ प्रेम की सुन्दर अभिव्यंजना हुई है।
अप्सराओं द्वारा मधुमालती से साक्षात्कार के बाद राजकुमार मनोहर उसकी प्राप्ति के लिए समुद्रमार्ग से यात्रा करके उसके नगर तक पहुँचना चाहता है। बीच सागर में ही दुर्घटना हो जाती है, किसी तरह बचकर मनोहर जंगल में पहुँचता है, वहाँ राक्षस को मारकर मधुमालती की सखी प्रेमा का उद्धार करता है।
प्रेमा के सहारे वह मधुमालती तक पहुँचता है। लेकिन मधुमालती की माता प्रेममंजरी को मनोहर एवं मधुमालती का प्रेम भाता नहीं है, इसलिए वह मधुमालती को मनोहर के प्रेम से विमुख करना चाहती है। जब वह नहीं मानती, तब वह उसे चिड़िया बनने का शाप दे देती है। चिड़िया बनी मधुमालती को ताराचंद पकड़कर सोने के पिंजरे में बन्द कर देता है।
एक दिन चिड़िया ताराचंद को अपनी प्रेम कहानी सुनाती है। उस कहानी से ताराचंद द्रवित हो उठता है और उसे लेकर मधुमालती के माता-पिता के पास जाता है। वहाँ माता उस पर जल छिड़ककर फिर उसे 'मधुमालती' के रूप में बदल देती है। योगी के रूप में मनोहर भी आ जाता है और ताराचंद के प्रयास से मनोहर एवं मधुमालती का विवाह हो जाता है।
ताराचंद प्रेमा पर मोहित होता है। आगे की पाण्डुलिपि फट गयी है। सम्भव है कि प्रेमा ताराचंद का विवाह उसमें वर्णित हुआ हो। प्रस्तुत में वर्णनात्मकता का अंश अधिक है। प्रेम के चित्रण में विरह को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। विषय-निरूपण, भाषा सौन्दर्याभिव्यक्ति, भावाभिव्यंजना-शैली, अलंकार-विधान आदि की दृष्टि से यह उच्च कोटि की कृति मानी जा सकती है।
sufi kvi manjhan krit madhumalti ka sanskhipta parichay prastut kijiye.
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