1. सूफी कवि कुतुबन द्वारा रचित 'मृगावती' का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
सन् 1501 ई. (सं. 1558) में दौहे-चौपाइयों में कुतुबन ने 'मृगावती' प्रेमाख्यान की रचना की थी। इसमें चन्द्रनगर के राजा गणपति देव के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूपमुरारी की कन्या मृगावती की सरस प्रेमकथा वर्णित है।
कंचनपुर की राजकुमारी मृगावती पर मोहित राजकुमार प्रेम-योगी बनकर कई कष्ट झेलने के उपरान्त उसे प्राप्त करता है। इस कार्य में रुक्मिनी नामक सुन्दरी उसकी विपदा के दिनों में सहायता करती है।
कहानी के अन्त में राजकुमार की आखेट में मृत्यु और दोनों पत्नियों का सती हो जाना वर्णित है। डॉ. रामकुमार वर्मा के अनुसार, "मृगावती की कया लौकिक प्रेम की कथान है, जिसमें अलौकिक प्रेम का सम्पूर्ण संकेत है।"
इस काव्य (मृगावती) में कवि ने प्रेम के लिए किये गये त्याग और प्रेमिका की प्राप्ति में उठाये गये कष्टों द्वारा प्रतीकात्मक धरातल पर साधन और ईश्वर के सम्बन्ध को स्पष्ट किया है। कथा प्रवाह के बीच सूफी शैली के आधार पर स्थान-स्थान पर रहस्यात्मक चित्रण भी मिल जाता है।
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