सूफी मत की मान्यताएं स्पष्ट करें।

1. सूफी मत की मान्यताएं स्पष्ट करें। 

उत्तर - सूफी मत की मान्यताएँ-

  1. सूफी मत में ईश्वर को निराकार एवं सर्वव्यापी मानते हैं। वे ईश्वर को जगत में व्याप्त मानकर इसके सौन्दर्य पर मुग्ध होते हैं।
  2. सूफियों के अनुसार मानव सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है और उसमें ईश्वर की छाया है। उसमें जड़ अंश (नफस) भी है और आध्यात्मिक अंश (रूह) भी। नफस को मारना मानव का कर्त्तव्य है, तभी 'रूह' को ईश्वर के दर्शन होते हैं। 
  3. मानव में परिपूर्णता का बीज सुप्तावस्था में होता है उसे प्रस्फुटित करना मानव का कर्त्तव्य है। मुहम्मद सर्वश्रेष्ठ पूर्ण मानव है, ईश्वरीय साक्षात्कार पीर और गुरु की सहायता से ही होता है। 'फना' मानवीय गुणों का नाश है और 'बका' ईश्वरीय गुणों की प्राप्ति है। सद्गुरु या सूफीसन्त (पीर या वली) ही व्यक्ति को बका की ओर ले जाते हैं। पीर या गुरु ही साधक को शैतान के शिकंजे से मुक्त करते हैं।
  4. शैतान साधक के मार्ग में बाधक है, किन्तु यह साधक की साधना को परिपक्व बनाता है। यह शैतान वेदान्त की माया के समान है।
  5. सूफी साधना के सात सोपान है- 1. अनुताप, 2. आत्मसंयम, 3. वैराग्य, 4. दारिद्रय, 5. धैर्य, 6.विश्वास, 7. प्रेम
  6. ईश्वर साधना के चार मुकाम (पड़ाव) हैं। इनके नाम है-1. शरीअत, 2. तरीकत, 3. मारिफत, 4. हकीकत। इन मुकामों से गुजरकर ही वह हाल की दशा में पहुंचता है।
  7. हाल की चार दशाओं के नाम है-नासूत, मलकत, जबरूत और लाहूता पहली दशा में वह शरीयत (कर्मकाण्ड) का अनुसरण करता है, दूसरी दशा में साधक तरीकत (उपासना) में लीन हो जाता है, तीसरी दशा मारिफत में वह आरिफ बन जाता है और चौथी दशा में उसे हकीकत (परमतत्व) की उपलब्धि हो जाती है।
  8. सूफियों में मजार पूज्य है एवं तीर्थयात्रा की भी मान्यता है। 
  9. सूफी साधना में इश्क मजाजी (लौकिक प्रेम) से इश्क हकीकी (अलौकिक प्रेम) को प्राप्त करने पर बल दिया गया है।
  10. 'हाल' की दिशा में पहुंचा साधक बाहा संसार को भूलकर एकमात्र अपनी प्रिया (ईश्वर) के रूप में लीन हो जाता है। सूफी साधना में साधक की कल्पना पति रूप में तथा ईश्वर की कल्पना पत्नी रूप में की गई है, जबकि भारतीय रहस्यवाद में कबीर आदि कवियों ने साधक जीवात्मा को प्रेयसी (स्त्री) रूप में तथा परमात्मा को प्रियतम (पुरुष) रूप में कल्पित किया है।
  11. सूफी मत इस्लाम से सम्बन्धित है, किन्तु उसमें इस्लामिक कट्टरता विद्यमान नहीं है। इस मत के अनुयायी उदार, विशाल हृदय, सहिष्णु एवं संवेदनशील हैं।

Sufi mat ki manytaye spashta kare?

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