इकाई 9 प्रकाश भाग 1 CGTET विज्ञान (Science) Paper 2

 

प्रकाश:

परिभाषा:

  • प्रकाश एक विद्युतचुम्बकीय विकिरण है जिसकी तरंगदैर्ध्य मानव आँखों द्वारा देखी जा सकती है।
  • तकनीकी या वैज्ञानिक संदर्भ में, किसी भी तरंगदैर्ध्य के विकिरण को प्रकाश कहा जा सकता है।
  • प्रकाश का मूल कण फोटॉन होता है।

प्रकाश की प्रमुख विशेषताएं:

  • तीन मुख्य आयाम:
    1. तीव्रता: यह प्रकाश की चमक से संबंधित है।
    2. तरंगदैर्ध्य: यह एक चक्र से दूसरे चक्र तक की दूरी है। दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 400 से 700 नैनोमीटर के बीच होती है।
    3. आवृत्ति: यह प्रति सेकंड होने वाले कंपन की संख्या है। यह तरंगदैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
  • प्रकाश गति से यात्रा करता है: यह एक निर्वात में लगभग 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड (लगभग 186,282 मील प्रति सेकंड) की गति से यात्रा करता है।
  • प्रकाश को परावर्तित किया जा सकता है: जब प्रकाश किसी सतह से टकराता है, तो यह वापस उसी माध्यम में लौट जाता है जिससे वह आया था।
  • प्रकाश को अपवर्तित किया जा सकता है: जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, तो उसकी दिशा बदल जाती है।
  • प्रकाश का विवर्तन होता है: जब प्रकाश एक छोटे से छिद्र या किनारे से होकर गुजरता है, तो यह थोड़ा फैल जाता है।
  • प्रकाश का व्यतिकरण होता है: जब दो प्रकाश तरंगें एक दूसरे के साथ हस्तक्षेप करती हैं, तो वे एक संयुक्त तरंग बनाती हैं।

प्रकाश के प्रकार:

  • दृश्य प्रकाश: यह प्रकाश स्पेक्ट्रम का वह भाग है जिसे मानव आँखें देख सकती हैं।
  • अवरक्त प्रकाश: यह दृश्य प्रकाश से लाल तरंगदैर्ध्य वाला प्रकाश है। इसका उपयोग थर्मल इमेजिंग और रिमोट कंट्रोल में किया जाता है।
  • पराबैंगनी प्रकाश: यह दृश्य प्रकाश से बैंगनी तरंगदैर्ध्य वाला प्रकाश है। इसका उपयोग कीटाणुशोधन और ब्लैक लाइट में किया जाता है।
  • एक्स-रे: ये उच्च ऊर्जा वाले फोटॉन होते हैं जिनका उपयोग चिकित्सा इमेजिंग और सुरक्षा जांच में किया जाता है।
  • गामा किरणें: ये सबसे उच्च ऊर्जा वाले फोटॉन होते हैं जो प्राकृतिक रूप से ब्रह्मांड में पाए जाते हैं। उनका उपयोग चिकित्सा उपचार और वैज्ञानिक अनुसंधान में किया जाता है।

प्रकाश के उपयोग:

  • दृष्टि: प्रकाश हमें वस्तुओं को देखने की अनुमति देता है।
  • प्रकाश संश्लेषण: पौधे प्रकाश का उपयोग भोजन बनाने के लिए करते हैं।
  • संचार: हम प्रकाश का उपयोग टेलीफोन, रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से संवाद करने के लिए करते हैं।
  • रोशनी: हम प्रकाश का उपयोग अंधेरे को दूर करने के लिए करते हैं।
  • चिकित्सा: प्रकाश का उपयोग विभिन्न चिकित्सा उपचारों में किया जाता है, जैसे कि लेजर सर्जरी और फोटोथेरेपी।

प्रकाश से संबंधित कुछ रोचक तथ्य:

  • सबसे तेज गति से यात्रा करने वाली चीज प्रकाश है।
  • सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश को पहुंचने में लगभग 8 मिनट लगते हैं।
  • मधुमक्खियों को दृश्य प्रकाश का एक अलग स्पेक्ट्रम दिखाई देता है जो मनुष्यों को दिखाई देता है।
  • काले रंग का कोई प्रकाश नहीं होता है।
  • इंद्रधनुष में सात रंग होते हैं।

अधिक जानकारी:

प्रकाश के स्त्रोत:

प्रकाश के स्त्रोतों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

प्राकृतिक प्रकाश स्त्रोत:

  • सूर्य: सूर्य ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है और यह पृथ्वी पर प्रकाश और ऊष्मा का मुख्य प्राकृतिक स्रोत भी है। यह परमाणु संलयन नामक प्रक्रिया के माध्यम से प्रकाश उत्पन्न करता है।
  • तारे: सूर्य की तरह, तारे भी परमाणु संलयन के माध्यम से प्रकाश उत्पन्न करते हैं।
  • चंद्रमा: चंद्रमा स्वयं प्रकाश उत्पन्न नहीं करता है, बल्कि यह सूर्य से परावर्तित प्रकाश को दर्शाता है।
  • विद्युत: बिजली चमकने पर वायुमंडल में विद्युत ऊर्जा का त्वरित निर्वहन होता है, जिससे प्रकाश उत्पन्न होता है।
  • ज्वालामुखी: ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान गर्म गैसें और लावा वायुमंडल में ऊँचे उठते हैं, जिससे प्रकाश उत्पन्न होता है।
  • जीवन-प्रकाश: कुछ जीवित प्राणी, जैसे कि जुगनू और कुछ प्रकार की मछलियाँ, अपने शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से प्रकाश उत्पन्न करते हैं।

कृत्रिम प्रकाश स्त्रोत:

  • बिजली के बल्ब: विद्युत प्रवाह से गरमाए गए तंतुओं द्वारा प्रकाश उत्पन्न होता है।
  • एलईडी (प्रकाश उत्सर्जक डायोड): अर्धचालक सामग्री द्वारा विद्युत प्रवाह को प्रकाश में परिवर्तित किया जाता है।
  • सीएफएल (कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप): पारा वाष्प में विद्युत निर्वहन द्वारा प्रकाश उत्पन्न होता है।
  • मशालें: ज्वलनशील पदार्थों, जैसे कि लकड़ी या तेल, को जलाकर प्रकाश उत्पन्न होता है।
  • शمعें: ज्वलनशील मोमबत्ती को जलाकर प्रकाश उत्पन्न होता है।
  • लेजर: उत्तेजित परमाणुओं से प्रकाश को प्रवर्धित और केंद्रित करके प्रकाश उत्पन्न होता है।

प्रकाश के स्त्रोतों का महत्व:

  • रोशनी: अंधेरे को दूर करने और रात में देखने में सक्षम बनाने के लिए प्रकाश आवश्यक है।
  • दृष्टि: प्रकाश हमें वस्तुओं को देखने की अनुमति देता है।
  • फोटोग्राफी: प्रकाश का उपयोग चित्रों को कैप्चर करने के लिए किया जाता है।
  • संचार: हम प्रकाश का उपयोग टेलीफोन, रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से संवाद करने के लिए करते हैं।
  • चिकित्सा: प्रकाश का उपयोग विभिन्न चिकित्सा उपचारों में किया जाता है, जैसे कि लेजर सर्जरी और फोटोथेरेपी।
  • ऊर्जा: सौर ऊर्जा पैनल सूर्य के प्रकाश को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए उपयोग करते हैं।

निष्कर्ष:

प्रकाश हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार के प्रकाश स्रोत हमारे जीवन को रोशन करने, हमें देखने में सक्षम बनाने और विभिन्न गतिविधियों को करने में हमारी मदद करते हैं।

छाया का बनना:

छाया तब बनती है जब प्रकाश किसी अपारदर्शी वस्तु से टकराता है और उस वस्तु के पीछे की जगह तक नहीं पहुंच पाता है। प्रकाश की किरणें सीधी रेखा में यात्रा करती हैं, और जब वे किसी अपारदर्शी वस्तु से टकराती हैं, तो वे अवरुद्ध हो जाती हैं और वस्तु के पीछे की जगह तक नहीं पहुंच पाती हैं।

इसके परिणामस्वरूप, वस्तु के पीछे एक अंधेरा क्षेत्र बन जाता है, जिसे हम छाया कहते हैं। छाया का आकार और आकृति वस्तु के आकार, प्रकाश स्रोत की स्थिति और प्रकाश स्रोत और वस्तु के बीच की दूरी पर निर्भर करती है।

छाया बनने के लिए आवश्यक तत्व:

  • प्रकाश स्रोत: प्रकाश का एक स्रोत, जैसे कि सूर्य, एक दीपक या एक मोमबत्ती।
  • अपारदर्शी वस्तु: एक वस्तु जो प्रकाश को पार नहीं जाने देती है, जैसे कि एक पेड़, एक इमारत या एक व्यक्ति।
  • दीवार या सतह: छाया को देखने के लिए एक सतह, जैसे कि जमीन, दीवार या फर्श।

छाया के गुण:

  • छाया हमेशा प्रकाश स्रोत के विपरीत दिशा में होती है।
  • छाया का आकार और आकृति वस्तु के आकार, प्रकाश स्रोत की स्थिति और प्रकाश स्रोत और वस्तु के बीच की दूरी पर निर्भर करती है।
  • जैसे-जैसे प्रकाश स्रोत वस्तु के करीब आता है, छाया उतनी ही बड़ी और अधिक परिभाषित होती जाती है।
  • जैसे-जैसे प्रकाश स्रोत वस्तु से दूर जाता है, छाया उतनी ही छोटी और कम परिभाषित होती जाती है।
  • अगर प्रकाश स्रोत वस्तु के पीछे है, तो कोई छाया नहीं होगी।

छाया के कुछ रोचक तथ्य:

  • पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर चंद्रग्रहण का कारण बनती है।
  • सूर्य की छाया पृथ्वी पर सूर्यग्रहण का कारण बनती है।
  • हम छाया का उपयोग वस्तुओं की ऊंचाई और दूरी मापने के लिए कर सकते हैं।
  • कलाकार और फोटोग्राफर छाया का उपयोग अपनी कलाकृति में गहराई और आयाम जोड़ने के लिए करते हैं।

निष्कर्ष:

छाया प्रकाश और अपारदर्शी वस्तुओं के बीच की बातचीत का एक सरल लेकिन दिलचस्प परिणाम है। छाया का अध्ययन करके, हम प्रकाश के गुणों और हमारे आसपास की दुनिया के बारे में अधिक जान सकते हैं.

प्रकाश का परावर्तन:

परिभाषा:

जब प्रकाश किसी सतह से टकराकर अपनी दिशा बदल देता है और वापस उसी माध्यम में लौट आता है, तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहा जाता है।

परावर्तन के नियम:

  1. आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलम्ब एक ही तल में स्थित होते हैं।
  2. आपतन कोण (∠i) सदैव परावर्तन कोण (∠r) के बराबर होता है।
  3. आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलम्ब एक ही तल में स्थित होते हैं।

परावर्तन के प्रकार:

  • समतल परावर्तन: जब प्रकाश किसी समतल सतह से परावर्तित होता है, तो इसे समतल परावर्तन कहा जाता है। समतल दर्पण समतल परावर्तन का एक उदाहरण है।
  • गोलाकार परावर्तन: जब प्रकाश किसी गोलाकार सतह से परावर्तित होता है, तो इसे गोलाकार परावर्तन कहा जाता है। अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण गोलाकार परावर्तन के उदाहरण हैं।

परावर्तन के अनुप्रयोग:

  • दर्पण: दर्पण समतल और गोलाकार परावर्तन का उपयोग करके बनाए जाते हैं। वे हमें वस्तुओं को देखने और प्रतिबिंब बनाने में मदद करते हैं।
  • पेरिस्कोप: पेरिस्कोप गोलाकार परावर्तन का उपयोग करके बनाया जाता है। यह हमें कोनों के आसपास देखने में मदद करता है।
  • टेलीस्कोप: टेलीस्कोप गोलाकार परावर्तन का उपयोग करके बनाए जाते हैं। वे हमें दूर की वस्तुओं को देखने में मदद करते हैं।
  • प्रकाशिक यंत्र: प्रकाशिक यंत्र, जैसे कि कैमरे और माइक्रोस्कोप, समतल और गोलाकार परावर्तन दोनों का उपयोग करते हैं।
  • सौर ऊर्जा: सौर ऊर्जा पैनल सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए परावर्तकों का उपयोग करते हैं।

प्रकाश परावर्तन से संबंधित कुछ रोचक तथ्य:

  • इंद्रधनुष प्रकाश के अपवर्तन और परावर्तन के कारण होता है।
  • हीरे अपनी चमक के लिए जाने जाते हैं क्योंकि वे प्रकाश को दृढ़ता से परावर्तित करते हैं।
  • कुछ जानवर, जैसे कि बिल्लियाँ, अपनी आँखों में परावर्तक परत होती है जो उन्हें अंधेरे में देखने में मदद करती है।
  • ट्रैफिक संकेत प्रकाश परावर्तन का उपयोग करके दिखाई देते हैं।

निष्कर्ष:

प्रकाश का परावर्तन एक महत्वपूर्ण भौतिक घटना है जिसके हमारे जीवन में कई अनुप्रयोग हैं। परावर्तन के नियमों और अवधारणाओं को समझने से हमें दर्पण, टेलीस्कोप, कैमरे और कई अन्य उपकरणों का बेहतर उपयोग करने में मदद मिल सकती है।

समतल दर्पण में प्रतिबिंब बनना:

समझ:

जब कोई वस्तु किसी समतल दर्पण के सामने रखी जाती है, तो दर्पण से परावर्तित होने वाली प्रकाश किरणें हमारी आँखों तक पहुँचती हैं। हमारी आँखें इन प्रकाश किरणों को इस तरह से व्याख्या करती हैं जैसे कि वे वस्तु से सीधे आ रही हों, जिसके परिणामस्वरूप दर्पण में वस्तु का एक प्रतिबिंब दिखाई देता है।

प्रतिबिंब की विशेषताएं:

  • आभासी: समतल दर्पण में बनने वाला प्रतिबिंब आभासी होता है, जिसका अर्थ है कि यह वास्तविक नहीं होता है और इसे स्पर्श नहीं किया जा सकता है।
  • सीधा: प्रतिबिंब वस्तु का सीधा प्रतिबिंब होता है, यानी दाएँ-बाएँ उल्टा नहीं होता है।
  • समान आकार का: प्रतिबिंब वस्तु के समान आकार का होता है।
  • दर्पण से उतनी ही दूरी पर: प्रतिबिंब वस्तु से उतनी ही दूरी पर दर्पण के पीछे बनता है जितनी वस्तु दर्पण के सामने होती है।
  • स्पष्ट: यदि दर्पण साफ और समतल है, तो प्रतिबिंब स्पष्ट और विकृत नहीं होगा।

प्रतिबिंब बनने की प्रक्रिया:

  1. प्रकाश किरणें वस्तु से निकलती हैं: वस्तु से विभिन्न दिशाओं में प्रकाश किरणें निकलती हैं।
  2. प्रकाश किरणें दर्पण से टकराती हैं: ये प्रकाश किरणें समतल दर्पण की सतह से टकराती हैं।
  3. प्रकाश किरणें परावर्तित होती हैं: दर्पण से, प्रकाश किरणें परावर्तन के नियमों के अनुसार परावर्तित होती हैं।
  4. प्रकाश किरणें आँखों तक पहुँचती हैं: परावर्तित प्रकाश किरणें हमारी आँखों तक पहुँचती हैं।
  5. मस्तिष्क प्रतिबिंब बनाता है: हमारा मस्तिष्क इन प्रकाश किरणों को इस तरह से व्याख्या करता है जैसे कि वे वस्तु से सीधे आ रही हों, जिसके परिणामस्वरूप दर्पण में वस्तु का एक प्रतिबिंब दिखाई देता है।

उदाहरण:

जब आप किसी समतल दर्पण में अपना चेहरा देखते हैं, तो आप वास्तव में अपना चेहरा नहीं देख रहे होते हैं, बल्कि आप अपने चेहरे का एक आभासी प्रतिबिंब देख रहे होते हैं। यह प्रतिबिंब आपके चेहरे के समान आकार का होता है और दर्पण से उतनी ही दूरी पर होता है जितना आप दर्पण से खड़े होते हैं।

निष्कर्ष:

समतल दर्पण में प्रतिबिंब बनना प्रकाश के परावर्तन की एक सरल लेकिन महत्वपूर्ण घटना है। प्रतिबिंब की विशेषताओं और बनने की प्रक्रिया को समझने से हमें दर्पणों का बेहतर उपयोग करने और हमारे आसपास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है।

गोलीय दर्पण: फोकस, फोकस दूरी और वक्रता त्रिज्या

गोलीय दर्पण:

गोलीय दर्पण एक प्रकार का दर्पण होता है जिसका आकार गोले के एक भाग जैसा होता है। गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं: अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण।

अवतल दर्पण:

अवतल दर्पण का मध्य भाग अंदर की ओर झुका होता है। यह प्रकाश किरणों को एक बिंदु पर समेटता है, जिसे फोकस कहा जाता है। फोकस दर्पण से एक निश्चित दूरी पर होता है, जिसे फोकस दूरी कहा जाता है।

उत्तल दर्पण:

उत्तल दर्पण का मध्य भाग बाहर की ओर उभरा होता है। यह प्रकाश किरणों को फैलाता है। उत्तल दर्पण का कोई फोकस नहीं होता है।

वक्रता त्रिज्या:

वक्रता त्रिज्या गोले के केंद्र से दर्पण की सतह तक की दूरी होती है। यह दर्पण की गोलाकारता का माप होता है। वक्रता त्रिज्या जितनी कम होगी, दर्पण उतना ही अधिक अवतल होगा।

गोलीय दर्पण के सूत्र:

  • अवतल दर्पण के लिए: 1/f = 1/v + 1/u f = uv/(u + v)
  • उत्तल दर्पण के लिए: 1/f = 1/v - 1/u f = uv/(v - u)

जहाँ:

  • f = फोकस दूरी
  • v = प्रतिबिंब की दूरी (दर्पण से प्रतिबिंब तक की दूरी)
  • u = वस्तु की दूरी (दर्पण से वस्तु तक की दूरी)

उदाहरण:

मान लीजिए कि आपके पास 20 सेमी फोकस दूरी वाला एक अवतल दर्पण है। आप 30 सेमी की दूरी पर एक वस्तु रखते हैं। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दूरी पर बनेगा?

उपाय:

उपरोक्त सूत्र का उपयोग करके, हम पा सकते हैं:

1/f = 1/v + 1/u 1/20 = 1/v + 1/30 v = 12 सेमी

इसलिए, प्रतिबिंब दर्पण से 12 सेमी की दूरी पर बनेगा।

गोलीय दर्पणों के अनुप्रयोग:

  • दर्पण: गोलीय दर्पणों का उपयोग विभिन्न प्रकार के दर्पणों में किया जाता है, जैसे कि मेकअप दर्पण, शेविंग दर्पण और रियरव्यू मिरर।
  • टेलीस्कोप: गोलीय दर्पणों का उपयोग परावर्तक टेलीस्कोप में किया जाता है।
  • कैमरे: गोलीय दर्पणों का उपयोग कुछ प्रकार के कैमरों में किया जाता है, जैसे कि रिफ्लेक्स कैमरे।
  • चिकित्सा उपकरण: गोलीय दर्पणों का उपयोग कुछ चिकित्सा उपकरणों में किया जाता है, जैसे कि नेत्र परीक्षा उपकरण और लेजर सर्जरी उपकरण।

निष्कर्ष:

गोलीय दर्पण प्रकाशिकी में महत्वपूर्ण उपकरण हैं जिनके कई अनुप्रयोग हैं। फोकस, फोकस दूरी और वक्रता त्रिज्या गोलीय दर्पणों की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जिन्हें उनके व्यवहार को समझने के लिए उपयोग किया जाता है।

गोलीय दर्पणों (अभिसारी एवं अपसारी) से बनने वाले प्रतिबिंब

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं: अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण। इन दर्पणों द्वारा परावर्तित प्रकाश किरणों के आधार पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबिंब बनते हैं।

अवतल दर्पण:

  • अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकाश किरणों को एक बिंदु पर समेटता है।
  • अवतल दर्पण द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब अनेक प्रकार के हो सकते हैं, जो वस्तु की दर्पण से दूरी (v) और दर्पण की फोकस दूरी (f) पर निर्भर करते हैं।
  • वस्तु की दूरी (v) और दर्पण की फोकस दूरी (f) के विभिन्न मानों के लिए अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्बों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
    • यदि v > 2f: प्रतिबिम्ब वास्तविक, सीधा और लघु होता है, जो दर्पण से अधिक दूरी पर बनता है।
    • यदि v = 2f: प्रतिबिम्ब वास्तविक, सीधा और बराबर होता है, जो दर्पण पर फोकस पर बनता है।
    • यदि v > f और v < 2f: प्रतिबिम्ब वास्तविक, सीधा और बड़ा होता है, जो दर्पण के बीच में बनता है।
    • यदि v = f: प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा और अनंत पर बनता है।
    • यदि 0 < v < f: प्रतिबिम्ब आभासी, उल्टा और बड़ा होता है, जो दर्पण के अन्दर बनता है।

उत्तल दर्पण:

  • उत्तल दर्पण को अपसारी दर्पण भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकाश किरणों को फैलाता है।
  • उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब हमेशा आभासी, सीधा और लघु होता है, जो वस्तु की तुलना में दर्पण से सदैव कम दूरी पर बनता है।

अनुप्रयोग:

  • अवतल दर्पणों का उपयोग दूरबीनों, सूक्ष्मदर्शी, परावर्तक दूरदर्शी आदि में किया जाता है।
  • उत्तल दर्पणों का उपयोग वाहन के रियरव्यू मिरर, सुरक्षा दर्पण आदि में किया जाता है।

निष्कर्ष:

गोलीय दर्पणों (अवतल और उत्तल) द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब वस्तु की दर्पण से दूरी और दर्पण की फोकस दूरी पर निर्भर करते हैं। अवतल दर्पण विभिन्न प्रकार के प्रतिबिम्ब बना सकते हैं, जबकि उत्तल दर्पण हमेशा आभासी, सीधा और लघु प्रतिबिम्ब बनाते हैं। इन दर्पणों का उपयोग विभिन्न प्रकार के उपकरणों में किया जाता है।

अपवर्तन सम्बन्धी घटनाएं

अपवर्तन एक प्रकाशिक घटना है जिसमें प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करते समय अपनी दिशा बदल देता है। यह घटना तब होती है जब प्रकाश की गति दो माध्यमों में भिन्न होती है।

अपवर्तन से सम्बन्धी कुछ प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित हैं:

1. प्रकाश का अपवर्तन:

  • जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करता है, तो उसकी दिशा बदल जाती है।
  • अपवर्तन की मात्रा अपवर्तनांक और आपतन कोण पर निर्भर करती है।
  • अपवर्तनांक: यह किसी माध्यम के अपवर्तक गुणों का माप है। यह किसी माध्यम में प्रकाश की गति और निर्वात में प्रकाश की गति के अनुपात के बराबर होता है।
  • आपतन कोण: यह आपतित किरण और अभिलंब के बीच का कोण होता है।

2. कुल आंतरिक परावर्तन:

  • यदि आपतन कोण एक निश्चित सीमा (जिसे क्रांतिक कोण कहा जाता है) से अधिक हो जाता है, तो प्रकाश दूसरे माध्यम में प्रवेश नहीं कर पाता है और पूर्णतः परावर्तित हो जाता है। इस घटना को कुल आंतरिक परावर्तन कहा जाता है।
  • कुल आंतरिक परावर्तन का उपयोग ऑप्टिकल फाइबर में प्रकाश संचारण, प्रिज्म में प्रकाश का अपवर्तन, और हीरे की चमक के लिए किया जाता है।

3. प्रकाश का विसरण:

  • जब प्रकाश किसी अपारदर्शी माध्यम से गुजरता है, तो उसकी किरणें सभी दिशाओं में बिखर जाती हैं। इस घटना को प्रकाश का विसरण कहा जाता है।
  • प्रकाश का विसरण ही हमें आकाश का नीला दिखाई देने का कारण बनता है। सूर्य का प्रकाश वायुमंडल में मौजूद गैस के अणुओं द्वारा विसरित हो जाता है, जिसके कारण नीले रंग का प्रकाश हमारी आँखों तक अधिक मात्रा में पहुँचता है।

4. वायुमंडलीय अपवर्तन:

  • पृथ्वी का वायुमंडल विभिन्न घनत्वों का होता है, जिसके कारण प्रकाश की किरणें वायुमंडल में प्रवेश करते समय अपवर्तित हो जाती हैं। इस घटना को वायुमंडलीय अपवर्तन कहा जाता है।
  • वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण हमें सूर्योदय और सूर्यास्त सूर्य को वास्तविक स्थान से थोड़ा ऊपर दिखाई देते हैं।
  • इसके अलावा, वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं।

5. लेंस:

  • लेंस घुमावदार सतह वाले पारदर्शी माध्यम होते हैं जो प्रकाश को अपवर्तित करते हैं।
  • लेंस दो प्रकार के होते हैं: उत्तल लेंस और अवतल लेंस
  • उत्तल लेंस किरणों को समेटते हैं और आभासी या वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाते हैं।
  • अवतल लेंस किरणों को फैलाते हैं और आभासी प्रतिबिम्ब बनाते हैं।
  • लेंस का उपयोग दूरबीन, सूक्ष्मदर्शी, चश्मे, कैमरे आदि में किया जाता है।

निष्कर्ष:

अपवर्तन प्रकाशिकी की एक महत्वपूर्ण घटना है जिसके अनेक अनुप्रयोग हैं। यह घटना हमें विभिन्न प्राकृतिक दृश्यों को देखने और विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

अभिसारी एवं अपसारी लैंसों से बनने वाले प्रतिबिंब

अभिसारी लेंस:

अभिसारी लेंस प्रकाश किरणों को एक बिंदु पर समेटते हैं। ये उत्तल लेंस होते हैं जिनकी मोटाई किनारों पर कम और बीच में अधिक होती है।

अभिसारी लेंस द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्बों की विशेषताएं:

  • प्रतिबिम्ब वास्तविक या आभासी हो सकता है।
  • प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार के समान, उससे बड़ा या उससे छोटा हो सकता है।
  • प्रतिबिम्ब सीधा या उल्टा हो सकता है।

अभिसारी लेंस द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्बों के कुछ उदाहरण:

  • यदि वस्तु लेंस की फोकस दूरी (f) से अधिक दूरी पर हो, तो प्रतिबिम्ब वास्तविक, सीधा और लघु होता है।

  • यदि वस्तु लेंस की फोकस दूरी (f) पर हो, तो प्रतिबिम्ब वास्तविक, सीधा और बराबर होता है।

  • यदि वस्तु लेंस की फोकस दूरी (f) और 2f के बीच हो, तो प्रतिबिम्ब वास्तविक, सीधा और बड़ा होता है।

  • यदि वस्तु लेंस की फोकस दूरी (f) के बीच में हो, तो प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा और अनंत होता है।

  • यदि वस्तु लेंस के बीच में हो, तो प्रतिबिम्ब आभासी, उल्टा और बड़ा होता है।

अभिसारी लेंसों का उपयोग:

  • दूरबीन: दूरबीनों में अभिसारी लेंसों का उपयोग दूर की वस्तुओं को बड़ा दिखाने के लिए किया जाता है।
  • सूक्ष्मदर्शी: सूक्ष्मदर्शियों में अभिसारी लेंसों का उपयोग छोटी वस्तुओं को बड़ा दिखाने के लिए किया जाता है।
  • कैमरे: कैमरों में अभिसारी लेंसों का उपयोग प्रतिबिम्ब को सेंसर पर फोकस करने के लिए किया जाता है।
  • चश्मे: चश्मों में अभिसारी लेंसों का उपयोग दूरदृष्टि या निकट दृष्टि जैसी दृष्टि दोषों को ठीक करने के लिए किया जाता है।

अपसारी लेंस:

अपसारी लेंस प्रकाश किरणों को फैलाते हैं। ये अवतल लेंस होते हैं जिनकी मोटाई किनारों पर अधिक और बीच में कम होती है।

अपसारी लेंस द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्बों की विशेषताएं:

  • प्रतिबिम्ब हमेशा आभासी, सीधा और लघु होता है।
  • प्रतिबिम्ब वस्तु की तुलना में लेंस के सदैव कम दूरी पर बनता है।

अपसारी लेंस द्वारा बनने वाले प्रतिबिम्ब का एक उदाहरण:

अपसारी लेंसों का उपयोग:

  • वाहन के रियरव्यू मिरर: वाहन के रियरव्यू मिरर में अपसारी लेंसों का उपयोग पीछे की वस्तुओं का एक छोटा लेकिन सीधा प्रतिबिम्ब बनाने के लिए किया जाता है।
  • सुरक्षा दर्पण: सुरक्षा दर्पणों में अपसारी लेंसों का उपयोग एक विस्तृत क्षेत्र का दृश्य प्रदान करने के लिए किया जाता है।

निष्कर्ष:

अभिसारी और अपसारी लेंस प्रकाश किरणों को अलग-अलग तरीके से अपवर्तित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के प्रतिबिम्ब बनते हैं। इन लेंसों का उपयोग विभिन्न प्रकार के उपकरणों में किया जाता है।

लेंसों के उपयोग

लेंस पारदर्शी माध्यम होते हैं जिनकी कम से कम एक सतह घुमावदार होती है। ये प्रकाश की किरणों को अपवर्तित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के प्रभाव उत्पन्न होते हैं। लेंसों के अनेक उपयोग हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:

1. दृष्टि सुधार:

  • चश्मे: निकट दृष्टि (मायोपिया), दूरदृष्टि (हाइपरोपिया) और दृष्टिविक्षेप (स्ट्रैबिज़्म) जैसी दृष्टि दोषों को ठीक करने के लिए लेंसों का उपयोग चश्मों में किया जाता है।
  • संपर्क लेंस: चश्मों के समान, संपर्क लेंस का उपयोग भी दृष्टि दोषों को ठीक करने के लिए किया जाता है।

2. दूरदर्शी और सूक्ष्मदर्शी:

  • दूरदर्शी: दूर की वस्तुओं को बड़ा और स्पष्ट दिखाने के लिए लेंसों का उपयोग दूरबीनों में किया जाता है।
  • सूक्ष्मदर्शी: छोटी वस्तुओं को बड़ा और स्पष्ट दिखाने के लिए लेंसों का उपयोग सूक्ष्मदर्शियों में किया जाता है।

3. कैमरे:

  • फोटोग्राफी: प्रतिबिम्ब को सेंसर पर फोकस करने के लिए कैमरों में लेंसों का उपयोग किया जाता है।
  • वीडियो कैमरे: वीडियो कैमरों में भी लेंसों का उपयोग प्रतिबिम्ब को सेंसर पर फोकस करने के लिए किया जाता है।

4. प्रोजेक्टर:

  • फिल्म प्रोजेक्टर: फिल्म प्रोजेक्टर में लेंसों का उपयोग स्क्रीन पर फिल्म की छवि को प्रोजेक्ट करने के लिए किया जाता है।
  • ओवरहेड प्रोजेक्टर: ओवरहेड प्रोजेक्टर में लेंसों का उपयोग दीवार या स्क्रीन पर पारदर्शी शीटों की छवियों को प्रोजेक्ट करने के लिए किया जाता है।

5. चिकित्सा उपकरण:

  • ऑप्थलमोस्कोप: आँखों की जांच के लिए डॉक्टरों द्वारा ऑप्थलमोस्कोप नामक उपकरण में लेंसों का उपयोग किया जाता है।
  • लेजर सर्जरी: लेजर सर्जरी में ऊतकों को काटने या वेल्ड करने के लिए लेंसों का उपयोग किया जाता है।

6. अन्य उपयोग:

  • सनग्लास: सूरज की हानिकारक UV किरणों से आँखों की रक्षा के लिए सनग्लास में लेंसों का उपयोग किया जाता है।
  • माइक्रोस्कोप: माइक्रोस्कोप में लेंसों का उपयोग बहुत छोटी वस्तुओं को देखने के लिए किया जाता है।
  • टेलीस्कोप: टेलीस्कोप में लेंसों का उपयोग खगोलीय पिंडों को देखने के लिए किया जाता है।

निष्कर्ष:

लेंसों का उपयोग हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में किया जाता है। वे हमें बेहतर ढंग से देखने, दूर की वस्तुओं को देखने, छोटी वस्तुओं को बड़ा दिखाने, और चिकित्सा प्रक्रियाओं को करने में मदद करते हैं। लेंसों के बिना, हमारा जीवन बहुत अलग होगा।

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