1. अमीर खुसरो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
अमीर खुसरो (1255-1324) -
आदिकाल के मनोरंजक साहित्य में अमीर खुसरो का अविस्मरणीय योगदान है। वे उत्तर प्रदेश के एटा जिले में 'पटियाली' कस्बे के निवासी थे तथा एक कवि, संगीतकार, योद्धा के रूप में उनकी ख्याति थी। इनके गुरु का नाम निजामुद्दीन औलिया था।
खुसरो एक संगीतज्ञ भी हैं। कहा जाता है कि उन्होंने सितार और तबला का अविष्कार किया था। वे फारसी के प्रमुख कवि थे तथा उन्होंने 100 से अधिक ग्रंथ लिखे जिनमें लगभग 20 ग्रंथ प्राप्त हैं 'खालिकबारी' उनकी प्रसिद्ध कृति है जो एक शब्दकोश है। इनके साहित्य का प्रधान उद्देश्य मनोरंजन करना ही लगता है। वे जन भाषा के कवि थे इसलिए जनता में उनकी रचनाएं अत्यंत लोकप्रिय हुई है। उनकी लिखी मुकरियों, पहेलियों, ढकोसलों एवं दो सखुनों की भाषा खड़ी बोली हिंदी है। इस प्रकार का साहित्य उन्होंने जनता के मनोरंजन के लिए लिखा। यहां उनकी रचना के 2 नमूने उद्धृत हैं।
ढकोसला-
खीर पकाई जतन के चरखा दिया चला।
आया कुत्ता खा गया अब तू बैठी ढोल बजा।।
पहेली-
एक थाल मोती से भरा। सबके सिर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे।।
(उत्तर - प्रकाश)
खुसरो ने अपनी रचनाओं में बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया। डॉ रामकुमार वर्मा ने खुसरो के काव्य का महत्व प्रतिपादित करते हुए लिखा है- "वह केवल मनोरंजन की सामग्री है जीवन की गंभीरता से उब कर कोई भी व्यक्ति उनसे विनोद पा सकता है। पहेलियों, मुकरियों और दो सखुनों के द्वारा उन्होंने कोतुहल और विनोद की सृष्टि की है।"
निश्चय ही अमीर खुसरो हिंदी खड़ी बोली के पहले कवि हैं तथा हिंदी के मनोरंजक साहित्य की रचना में उनका सराहनीय योगदान रहा है।
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