मुकुंद कौशल : छत्तीसगढ़ी एवं हिंदी साहित्यकार

1. मुकुंद कौशल पर टिप्पणी लिखिए। 

 मुकुंद कौशल 

उत्तर - कवि मुकुंद कौशल गुजराती परिवार के छत्तीसगढ़ी एवं हिंदी दोनों के जाने-माने रचनाकार थे। वे गजल, गीत एवं कविताओं की रचना करते थे। रामधारी सिंह दिनकर, बोदूराम दलित, डॉ विमल पाठक एवं रघुवीर अग्रवाल पथिक से प्रेरणा प्राप्त कर उन्होंने साहित्य-सृजन किया था। उनका छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह 'भिनसार' और हिंदी कविता संग्रह लालटेन जलने दो बहुत ही लोकप्रिय हैं।

छत्तीसग़ढी में गजल लिखने वाले पहले व्यक्ति होने का श्रेय उनको प्राप्त है। दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष भी रह चुके थे। जब साक्षरता मिशन चलाया गया तो उसमें भी इनका बहुत बड़ा योगदान था इनके गीतों को साक्षरता अभियान में गाया जाता था। 

सम्मान - श्री अलंकरण, समाज़ गौरव सम्मान, साक्षरता सम्मान, अहिन्दी भाषी हिंदी सम्मान, लोककला सम्मान, साहित्य गौरव, भारत गौरव, डॉ. नरेंद्र देव वर्मा सम्मान, कथाकार सम्मान सहित लगभग 30 से अधिक। 

अन्य रचनाएं - (गीत) ऐसी माचिस लाए कहां से, कितने घर हैं, यह नई झुग्गी, नई उमंगों की चंचलता, रंग-बिरंगे मर्तबान में। (अंजुमन में) गीता जैसा पावन ग्रंथ, जितना मेरे हाथों की रेखाओं में, जितने भी अफसर, जो कड़ी धूप से, मानता हूं।

मुकुंद कौशल की गजलें - 

लालटेन जलने दो, शब्दक्रान्ति, गीतों का चन्दनवन, देश हमारा भारत, चिराग़ ग़ज़लों के, जमीं कपड़े बदलना चाहती है, भिनसार, हमर भुइयां हमर अगास, मया के मुंदरी, केवरस, सिर पर धूप-आँख में सपने के अलावा 6 छत्तीसगढ़ी गजल संग्रह भी मुकुंद ने लिखी थी.

कहाँ के थे - दुर्ग (छत्तीसगढ़)

मृत्यु - 5 अप्रैल 2021 

मृत्यु का कारण - हार्ट अटैक। 

Related Posts

Post a Comment