कबीर दास मुख्यतः श्रृंगार रस से हटकर अन्य रसों के कवि माने जाते हैं।
कबीर दास की कविता में मुख्य रूप से शांत, वीर और भक्ति रस की झलक मिलती है।
◆ शांत रस: कबीर दास ने अपने दोहों में जीवन की निरर्थकता और मोक्ष प्राप्ति की बात को बहुत ही शांत भाव से व्यक्त किया है।
◆ वीर रस: उन्होंने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अपने शब्दों से युद्ध किया है।
◆ भक्ति रस: कबीर दास की कविता में भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति भाव भी प्रबल रूप से दिखाई देता है।
क्यों नहीं श्रृंगार रस?
कबीर दास ने भौतिक सुखों और कामुकता को त्यागकर आध्यात्मिक जीवन को अपनाया। उनकी कविता में व्यक्तिगत प्रेम की बजाय ईश्वर प्रेम अधिक महत्वपूर्ण है।
अन्य रसों का प्रभाव:
● करुण रस: कबीर दास ने सामाजिक असमानता और मानव दुखों को देखकर करुण रस का भी प्रयोग किया है।
● हास्य रस: कबीर दास ने व्यंग्य और हास्य के माध्यम से सामाजिक बुराइयों पर प्रहार किया है।
★ निष्कर्ष: कबीर दास की कविता में विभिन्न रसों का समन्वय है, लेकिन मुख्य रूप से शांत, वीर और भक्ति रस का प्रभाव देखा जाता है। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से समाज सुधार और आध्यात्मिक जागरण का संदेश दिया।
Kabiradas kis ras ke kavi hai?
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