भक्तिकाल के वस्तुनिष्ठ प्रश्न

आज जो टॉपिक हम आपके लिए लेकर आये हैं, वह हिंदी साहित्य के इतिहास से है जो की इतिहास का दुसरा चरण है और इस चरण को भक्ति काल के नाम से जाना जाता है।

इससे पहले हमने एक पोस्ट लिखा था जिसमें मैंने आपको बताया था। आदिकाल के बारे में अगर आप पढ़ना चाहते हैं तो दिए लिंक पर क्लिक करें और पढ़ें आदिकाल और आदिकाल से पूछे गए प्रश्न के बारे में।

चलिए शुरू करते हैं आज का विषय जिसमें हम आपसे चर्चा करेंगे भक्ति काल से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों के बारे में आज हमारे कॉलेज में टेस्ट हुआ जिसमें इस प्रकार के सवाल पूछे गए थे उसी को मैंने आपके सामने रखा है हो सकता है की ये आपके फाइनल एक्साम में भी आ जाए तो इसे अंत तक पढ़े और जाने भक्ति काल के बारे में।

सहीं विकल्प वाले प्रश्न इस प्रकार से थे यहाँ मैं सिर्फ उत्तर को ही लिखने वाला हूँ उसके विकल्प को नहीं तो चलिए देखें।

भक्तिकाल के वस्तुनिष्ठ प्रश्न, भक्ति काल के प्रश्न उत्तर,
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प्रश्न १. अवधि भाषा के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का क्या नाम है ?

उत्तर - रामचरित मानस

प्रश्न २. हिंदी साहित्य का धर्मध्वज कवि किसे कहते हैं ?
उत्तर - तुलसीदास।

प्रश्न ३. फना का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?
उत्तर - मृत्यु होता है 

प्रश्न ४. सबसे प्राचीन वेद का नाम बताइये ?
उत्तर - ऋग्वेद।

प्रश्न -५. मुललादाऊ की प्रसिद्ध कृति का नाम बताइये।
उत्तर - चंदायन।

प्रश्न ६. मीराबाई कहाँ की कवियित्री थीं ?
उत्तर - राजस्थान।

प्रश्न ७. सूरदास जी के गुरु का नाम लिखिए।
उत्तर - वल्ल्भाचार्य।

प्रश्न ८. कबीरदास जी का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर - मगहर, कांशी नामक स्थान पर इनका जन्म हुआ था।

प्रश्न ९. संत सुन्दरदास के गुरु का नाम लिखिए।
उत्तर - दादूदयाल उनके गुरु का नाम था।

प्रश्न १०. मधुमालती के रचयिता कौन थे ?
उत्तर - मंझन नामक कवि ने इसकी रचना की थी।

प्रश्न ११. पद्मावत क्या है ?
उत्तर - पद्मावत एक महाकाव्य है।

प्रश्न १२. राघव, चेतन और पंडित किस कहानी के पात्र हैं ?
उत्तर - ये सभी पात्र पद्मावती के हैं।

प्रश्न १३. आखिरीकलाम और चित्ररेखा किसकी रचना है ?
उत्तर - मलिकमुहमम्द जायसी की रचना है।

प्रश्न १४. वैराग्य संदीपनी एवं कृष्ण गीतावली किसकी रचना है ?
उत्तर - तुलसी दास ने इसकी रचना की थी।

प्रश्न १५. कवित्त रत्नाकर किसकी रचना है ?
उत्तर - यह सेनापती की रचना है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न जिसको की पांच नंबर के लिए पूछा गया था। इसके उत्तर आप अपने तरिके से भी लिख सकते हैं।

प्रश्न १. भक्तिकाल के समाजिक परिस्थितियों को समझाइये।

उत्तर - इस काल में हिन्दू समाज की स्थिति अत्यंत शोचनीय थी। यह असहाय, दरिद्रता और अत्याचार की भट्टी में झुलस रहा था। स्वार्थवश या बलात्कार के कारण हिन्दू मुस्लिम धर्म स्वीकार कर रहे थे। हिन्दू कन्याओं का यवनों से बलात विवाह का क्रम चल रहा था। दास प्रथा भी प्रचलित थी। सम्पन्न मुसलमान हिन्दू कन्याओं को क्रय रहे थे। कुलीन नारियों का अपहरण कराके अमीर लोग अपना मनोरंजन किया करते थे। 

परिणाम स्वरूप हिन्दू जनता ने इस सामाजिक आक्रमण से बचने के लिए अनेक उपाय किये। बाल विवाह और पर्दा प्रथा इस आक्रमण से बचने का ही उपाय था। वर्णाश्रम (जाति-प्रथा) व्यवस्था सुदृढ़ हो गई थी। रोजी-रोटी के साधन छीन जाने से वह गरीब होता गया और जीविकोपार्जन के लिए मुसलमानों के सम्मुख आत्मसमर्पण करता रहा।

इस प्रकार भक्तिकाल राजनितिक दृष्टि से युद्ध, संघर्ष और अशांति का काल था। हिन्दू-समाज पर होने वाले सामाजिक और आर्थिक अत्याचारों का समय था।

टीप :- ध्यान रखें यह प्रश्न आपको पांच नंबर के लिए पूछा गया है तो इसे आपको उसके हिसाब से लिखना है।

प्रश्न २. भक्तिकाल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।

उत्तर - भक्तिकाल का समय संवत १३५० (1350) से सम्वत १७०० (1700) तक माना गया है। यह दौर युद्ध, संघर्ष और अशांति का समय था। मुहम्मद बिन तुगलक से लेकर शाहजहां तक का शासन काल इस समय में आता है।  इस अवधि में तीन प्रमुख मुस्लिम वंशों-पठान, लोदी और मुगल का साम्राज्य रहा। 

छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने और साम्राज्य विस्तार की अभिलाषा ने युद्धों को जन्म दिया। इस राज्य संघर्ष परम्परा का आरम्भ सुलतान मुहम्मद बिन तुगलक से आरम्भ हुआ। तुगलक के बाद सुलतान मुहम्मद शाह गद्दी पर बैठा। सन 1412 में उसकी मृत्यु के साथ तुगलक वंश समाप्त हुआ। 

इसके बाद लोदी वंश के बादशाहों ने साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया। अंतिम बादशाह इब्राहिम लोदी था, जिसका अंत सन 1526 में हुआ। इसके बाद मुगल वंश का शासन आरम्भ हुआ। जिसमें क्रमशः बाबर, हुमायूं, अकबर, जहाँगीर तथा शाहजहाँ ने राज्य किया।

मुगलवंशीय बादशाह यद्द्पी काव्य और कला प्रेमी थे, किन्तु निरंतर युद्धों, अव्यवस्थित शासन-व्यवस्था और पारिवारिक कलहों से देश में अशांति ही रही। मुगलवंशीय शासकों में अकबर का राज्य सभी दृष्टियों  से सर्वोपरि और व्यवस्थित रहा। इसका प्रभाव उसके उत्तराधिकारी शासकों पर भी रहा।

प्रश्न ३. ज्ञानमार्गी निर्गुण काव्य की प्रमुख विशेषताओं को समझाइये।

उत्तर - इस ज्ञानमार्गी निर्गुण काव्यधार की विशेषता इस प्रकार है -

1. गुणातीत की ओर संकेत - निर्गुण शब्द का अर्थ गुण रहित होता है। जब इस पंथ के संतों के संदर्भ में इसे देखते हैं तो यह गुणातीत की ओर संकेत करता है।

2. परब्रम्ह को महत्व - यह किसी निषेधात्मक सत्ता का वाचक न होकर उस परब्रम्ह के लिए प्रयुक्त हुआ है, जो सत्व, रजस और तमस तीनों गुणों से अतीत है।

3. स्वरूप वर्णन में असमर्थ - वाणी उसके स्वरूप का वर्णन करने में असमर्थ है। जो रूप, रंग, रेखा से परे है। यह निर्गुण ब्रम्ह घट-घट वासी है फिर भी इन्द्रियों से परे है। वह अवर्ण होकर भी सभी वर्णों में है। अरूप होकर भी सभी रूपों में मौजूद है।

4. समानता का संदेश - वह अवर्ण होकर भी सभी वर्णों में है। अरूप होकर भी सभी रूपों में मौजूद है। वह देशकाल से परे है, आदि- अंत से रहित है , फिर भी पिंड और ब्रम्हांड सभी में व्याप्त है। निर्गुण भक्ति ने  समानता का संदेश दिया। निर्गुण भक्त संतों का सपना एक ऐसे समाज का निर्माण करना था, जहां किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं है।

5. हिन्दू मुस्लिम दोनों प्रभावित - मध्य काल में हिन्दू जाति वर्णाश्रम धर्म की जटिलताओं से युक्त थी , तो इस्लाम भी धार्मिक कटटरता की भावना से ग्रस्त था। उधर उत्तर भारत में सिद्धों, नाथों के कर्मकांड के कारण सच्ची धर्म भावना का हास हो रहा था। 

व्यवस्था के इस दुष्चक्र में सामान्य जन लगातार पीस रहा था। दक्षिण से आनेवाली भक्ति की लहर ने हिन्दू-मुसलमान दोनों को प्रभावित किया। दक्षिण भारत में भक्ति के प्रणेता रामानंद थे और इसे उत्तर में कबीर ने प्रसारित किया।


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