आगे होने वाले कवियों की श्रृंगार और वातसल्य की उक्तियाँ सूर की जूठी सी जान पड़ती है। यह कथन किसका है?

 1. 'आगे होने वाले कवियों की श्रृंगार और वातसल्य की उक्तियाँ सूर की जूठी सी जान पड़ती है।' यह कथन किसका है?

उत्तर - आगे होने वाले कवियों की श्रृंगार और वातसल्य की उक्तियाँ सूर की जूठी सी जान पड़ती है।' यह कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल का है। 

'Aage hone wale kaviyon ki shringar aur watsalya ki uktiyan sur ki juthi si jan padti hai.' yah kathan kiska hai?

'Aage hone wale kaviyon ki shringar aur watsalya ki uktiyan sur ki juthi si jan padti hai.' yah kathan Aacharya ramchandra shukla ka hai.

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