बंगला और हिंदी के आधुनिक उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।

1. बंगला और हिंदी के आधुनिक उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये। 

उत्तर - बंगला और हिंदी के आधुनिक उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन निम्न बिंदुओं के आधार पर प्रस्तुत है -

रुपरेखा - 

  1. परिचय 
  2. हिंदी उपन्यास और बंगला उपन्यास 
  3. तुलनात्मक बिंदु 
  • राजनितिक स्थिति 
  • तत्कालीन आर्थिक स्थिति 
  • तत्कालीन सामाजिक स्थित 
1. परिचय - आधुनिक युग भारत की शासन व्यवस्था के उस युग से प्रारम्भ माना जाता है जब मुसलमानों के हाथ में चली गई। अंग्रेजों के आगमन से भारतीयों के रहन सहन, जीवन-यापन, आचार-विचार साहित्य कला में अनेक परिवर्तन होने लगे। विशेषतः साहित्य पर इसका पर्याप्त प्रभाव पड़ा। हिंदी और बांग्ला उपन्यास साहित्य में तुलनात्मक अध्ययन इस प्रकार प्रस्तुत है -

2. हिंदी उपन्यास और बांग्ला उपन्यास - साहित्य के क्षेत्र में उपन्यास एक नई विधा है। इस साहित्यिक विधा का आविर्भाव विश्व के सभी साहित्य के क्षेत्र में आधुनिक है। बांग्ला और हिंदी दोनों उपन्यास साहित्य आधुनिक युग की देन है। हिंदी के प्रथम उपन्यासकार लाला श्री निवास तथा बंगला के बंकिम चंद्र प्रथम उपन्यासकार हैं। 

3. तुलनात्मक बिंदु - 

* राजनितिक स्थिति - हिंदी साहित्य के आधुनिक काल का आरम्भ सन 1857 में हुआ, पर भारत वर्ष के आधुनिक बनने की प्रक्रिया की शुरुआत पूर्व से हो गयी थी जब सम्पूर्ण बंगाल पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया था। 

19 वीं सदी में बंगाल की राजनैतिक पृष्टभूमि में विशाल परिवर्तन आया और वह था ईस्ट इण्डिया कंपनी का व्यावसायिक सूत्रों से बंगाल में अनुप्रवेश और बाद में धीरे से उन्होंने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। 

* तत्कालीन आर्थिक स्थिति - अंग्रेजी राज्य की स्थापना के साथ इस देश की सामाजिक संघटना में विघटन और परिवर्तन परिलक्षित होने लगा। कर के बोझ और अकाल आदि का भयंकर उल्लेख भारतेन्दु तथा समसामयिक लेखकों के साहित्य में मिलता है। बंगला उपन्यासकारों में शरतचंद्र के उपन्यासों में ग्रामीण परिवेश जनजीवन का चित्रण है। रवीन्द्रनाथ ग्रामीण बंगला के जीवन से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। 

* तत्कालीन सामाजिक स्थिति - आधुनिक युग पुर्नजागरण का युग था फलस्वरूप समाज का जो आधुनिकीकरण आरम्भ हुआ वह पुराने धार्मिक संस्कारो, रीति-नीतियों, संघटनों के मेल में नहीं था। इस नवजागरण का सबसे अधिक प्रभाव बंगला साहित्य पर पड़ा। स्वांत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासों में सामाजिक जीवन की अनेक समस्याओं और यथार्थ के विविध स्तरों को उद्घाटित करने वाली उपन्यासें रची गई। 

निष्कर्ष - इस प्रकार हिंदी और बंगला साहित्य का विकास लगभग एक ही जैसे परिस्थितियों से होकर गुजरी है। 

Bangla aur hindi ke aadhunik upanyas ka tulnatmak adhyayan kijiye?

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