बंगला भाषा के आधुनिक-काल के महत्वपूर्ण नाटकों की चर्चा कीजिये।

1. बंगला भाषा के आधुनिक-काल के महत्वपूर्ण नाटकों की चर्चा कीजिये। 

उत्तर - बंगला भाषा के आधुनिक-काल के महत्वपूर्ण नाटकों की चर्चा -

रुपरेखा - 

  1. परिचय 
  2. आधुनिक काल के बंगला नाटक 
  3. निष्कर्ष 
1. परिचय - बंगला नाट्य साहित्य का विकास वस्तुतः विगत सौ वर्षों में हुआ है। बंगला भाषा में रचित प्रथम नाट्य कृति है 'कुलीन कुल सर्वस्व' जिसकी रचना 1857 ई. में रामनारायण तर्क-रत्न ने की थी। 

2. आधुनिक काल के बंगला नाटक - आधुनिक युग के बंगला नाटककारों में शचीनसेन गुप्त, मन्मथराय विधायक भट्टाचार्य, तुलसी लाहिरी और बादल सरकार के नाम उल्लेखनीय हैं। मनोज बसु, वनफूल तथा विजन भट्टाचार्य के नाटकों में नवीन शैली-शिल्प के साथ नवीन विषयों का भी समावेश है। निश्चय ही बंगला भाषा में नाट्य विधा नित नए सोपानों की ओर अग्रसर हैं। 

प्रमुख नाटकों की चर्चा इस प्रकार है -

  • काल मृगया - रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित प्रमुख नाटक हैं जिसमें कालमृगया महाभारत के धृतराष्ट्र के अंधे होने के शाप से संबंधित नाटक है। 
  • फूल शय्या - यह क्षोरोप्रसाद विद्याविनोद का पहला नाटक है जिसमें पृथ्वीराज से संबंधित कथा प्रस्तुत की गई है। 
  • भारत माता विलास - यह राजनारायण बसु का नाटक है इसमें भारत माता की दुर्दशा का चित्रण है जिसने दर्शकों को अत्यधिक द्रवित किया। 
  • नील दर्पण (1960) - यह दीनबंधु मित्र का प्रथम नाटक है जो कि अत्यंत लोकप्रिय हुआ जिसमें नील की कोठियों के मालिक अंग्रेजों के अत्याचार के रोमांचित कर देने वाले दृश्य दिखाए गए। इस नवीन प्रयोग में बंगला नाटक को सामाजिक भूमि से उठाकर राजनीतिक भूमि पर पहुँचा दिया। 
  • पुरु विक्रम - यह ज्योतिरींद्रनाथ के द्वारा लिखा नाटक है जिसमें पुरु और सिकंदर के युद्ध का वर्णन है। 
3. निष्कर्ष - इस प्रकार बंगला भाषा के आधुनिक काल में नाटकों का चहुंओर विकास हुआ जिसमें एतिहासिकता के साथ आधुनकिता को जोड़ा गया। 

Bangla bhasha ke aadhunik-kal ke mahatvapurna natako ki charcha kijiye.

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