(iii) श्रव्य माध्यम (रेडियो)
रेडियो विकास की संक्षिप्त रूपरेखा - भारत वर्ष में रेडियो प्रसारण की विधिवत स्थापना सन 1926 से 27 के आसपास हुई थी। कुछ प्राइवेट कंपनियों में प्रसारण कार्य प्रारंभ किया था। सन 1922 में इस संबंध में प्रथम प्रयास किया गया था। सर्वप्रथम रेडियो क्लब बंगाल ने नवंबर 1923 में कोलकाता से प्रसारण किया और सन 1924 में मुंबई में मुंबई रेडियो क्लब ने प्रसारण प्रारंभ किया, लेकिन सरकार की ओर से व्यवस्थित प्रसारण की व्यवस्था 1927 में की जा सकी। पहला प्रसारण 23 जुलाई, 1927 को मुंबई से हुआ। इन रेडियो स्टेशन का उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डरविन ने किया था। धीरे-धीरे भारत में प्रसारण का स्वर्णिम युग प्रारंभ हुआ।
सन 1934 के पश्चात प्रसारण सुविधाओं में विस्तार हुआ। श्री लियोन फिल्डन को प्रसारण का प्रथम कंट्रोलर बनाया गया 1 जनवरी 1936 को दिल्ली में रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया गया और रेडियो का नाम 'ऑल इंडिया रेडियो' पड़ा। सन 1939 में 1 अक्टूबर से विदेश सेवा का प्रसारण पश्तो प्रसारण से प्रारंभ हुआ। 1941 में सूचना एवं प्रसारण विभाग का गठन किया गया। 30 जून, 1947 को देश विभाजन के प्रश्न पर नेहरू, जिन्ना और माउंटबेटन के भाषण प्रसारित किए गए। 14 और 15 अगस्त को स्वतंत्रता प्राप्ति का समाचार प्रसारित किया गया।
स्वाधीनता के पश्चात आकाशवाणी / ऑल इंडिया रेडियो का व्यापक प्रसार हुआ सन 1947 में जहां पूरे देश में मात्र 6 प्रसारण केंद्र, एक दर्जन ट्रांसमीटर और दो-ढाई लाख रेडियो सेट थे वही आज हमारे पास 100 से अधिक रेडियो स्टेशंसन हैं जिससे यहां की 90% जनता उसका लाभ उठा रही हैं। करीब 3 करोड या उससे अधिक रेडियो सेट घरों में बज रहे हैं।
दुनिया के प्रायः सभी देशों में रेडियो प्रसारण की स्थिति में आशातीत प्रगति हुई है और इन जन-माध्यम को एक व्यापक समाज रुचिपूर्वक अपना चुका है।
यह रेडियो की लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है कि जनसंचार माध्यम की क्षमता के कारण दुनिया भर में रेडियो सेट की संख्या 1950 से 1975 के बीच 4 गुना बढ़ी चुकी थी इसी प्रकार 1960 से 1975 के बीच प्रति हजार के पीछे सीटों की संख्या में 95% की वृद्धि हुई। इस समय विश्व के हर चौथे व्यक्ति के पास रेडियो प्रसारण सुनने की सुविधा उपलब्ध है।
वर्तमान समय में आकाशवाणी से 24 घंटे में 284 समाचार बुलेटिन प्रसारित किए जाते हैं। एक छोटा समाचार बुलेटिन 5 मिनट का और बड़ा समाचार बुलेटिन 15 मिनट का। एक से एक प्रभावशाली कार्यक्रम जैसे साप्ताहिकी, की संसद की कार्यवाही, न्यूज़रील, चुनाव आदि प्रसारित हो रहे हैं।
राष्ट्रीय प्रसारणों के साथ प्रादेशिक सेवाओं को भी महत्व मिला है। विभिन्न नगरों में आकाशवाणी के 42 एकांश हैं जहां से 131 समाचार बुलेटिन प्रसारित होते हैं। प्रादेशिक भाषाओं में ब्रॉडकास्ट किये जा रहे हैं।
रेडियो अब जन-जीवन का एक आवश्यक कारक बन चुका है। घर में, बाहर सब जगह वह हमारा साथी है।
रेडियो से निम्नांकित विधाएँ आयोजित की जाती हैं - समाचार, फीचर, वार्ता, साक्षात्कार, डॉक्यूमेंट्री, पत्रिका, विचार, गोष्ठी, नाटक, कहानी, काव्य पाठ, संगीत के कार्यक्रम, खेल जगत, पर्व और जयंतिया। इसके अलावा परिवार कल्याण, ग्रामीण सड़क योजना, स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम आयोजित कर प्रसारित किए जाते हैं।
इस प्रकार रेडियो में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला लंबी है। सभी प्रसारण सेवाएं व्यापक जन समुदाय द्वारा सुनी जाती हैं। टेलीविजन के पदार्पण के बाद भी रेडियो की लोकप्रियता कम नहीं है। इस आकर्षक माध्यम की एक अपनी मोहकता है, उसकी एक वशीकरण सकती है।
Shravya madhyam (radio)
Post a Comment