लाला जगदलपुरी : छत्तीसगढ़ी साहित्यकार

 1. लाला जगदलपुरी जी का साहित्यिक परिचय दीजिये। 

लाला जगदलपुरी 

उत्तर - लाला जगदलपुर जी का साहित्यिक परिचय इस प्रकार है -

बस्तर निवासी लाला जगदलपुरी छत्तीसगढ़ी कविताओं के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। हल्बी बोली में रचित उनकी रचनाओं में श्रृंगार रस की प्रधानता है। नायिकाओं का श्रृंगारिक, मादकतापूर्ण चित्रण छत्तीसगढ़ी श्रृंगार साहित्य में अपूर्व है।

भाव पक्ष - नायिका की मादक छवि का प्रभाव नायक पर कैसा पड़ता है। निम्नांकित पंक्तियां देखिए -

"जब ले तैं सपना मां आये 

मोला कछु सुहावय नइये 

गुइयां तैं ह अनेक सुहाये 

पुन्नी के चंदा ल देखेंव 

तोरे सुगंध रातरानी हर 

भेजत रहथे संग पवन के 

नींद भरे रइथे आँखी मां 

दुख बिसराथौं जनम-जनम के।"

 कला पक्ष - आपने उपमा, रूपक, अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग कवि ने अत्यंत सार्थक रूप से किया है। 

लाला जगदलपुरी जी का जन्म 1923 में बस्तर में हुआ था, बस्तर से उनका अगाध प्रेम है। लेखन के साथ-साथ जगदलपुरी जी अध्यापन तथा खेती का काम करते हैं। लाला जगदलपुरी जी की प्रेरणा से बस्तर में कई साहित्यकार पनपे। उनकी 'हल्बी लोककथाएं' के कई संस्करण प्रकाशित हो गए हैं।

डॉक्टर सत्यभामा आडिल अपनी पुस्तक 'छत्तीसगढ़ी भाषा' और साहित्य (पृष्ठ क्रमांक 144) में लिखते हैं - "आप अपनी छत्तीसगढ़ी कविताओं में नायिकाओं का कलात्मक एवं सुरुचिपूर्ण चित्रण करने के लिए प्रसिद्ध है।"

तोरे मुंह अस गोल गढ़न के 

अंधियारी मां तारा देखेंव 

माला के मोती अस तन के। 

 हल्बी साहित्य में इनका योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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