पवन दीवान : छत्तीसगढ़ी साहित्यकार

1. पवन दीवान जी का साहित्यिक परिचय दीजिए। 

पवन दीवान 

उत्तर - 

पवन दीवान जी का साहित्यिक जीवन परिचय इस प्रकार है - 

छत्तीसगढ़ी साहित्य के अग्रणी कवि के रूप में पवन दीवान का नामोउल्लेख होता है। एक ओर वे सन्यासी बाना धारण करके कथावाचन में जन सेवा करते हैं तो दूसरी ओर उनके अंतस में कविताएं हिलौरें लेती रहती हैं। हिंदी और छत्तीसगढ़ी में इनकी अनेक रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। इनकी 'चंदा' शीर्षक कविता बहुचर्चित हुई है।

भाव-पक्ष - छत्तीसगढ़ी महतारी के माटी पुत्र पवन दीवान राजिम क्षेत्र के प्रतिनिधि राजनीतिज्ञ माने जाते हैं। सांसद के रूप में वे जन सेवा कर चुके हैं तथापि उनकी रचनाओं में भावुकतापूर्ण ग्रामीण परिवेश का चित्रण मिलता है। खेत, खार, चिरई, चिरगुन आदि प्राकृतिक उपादान उनकी रचनाओं में समाहित हैं -

"लइका मन धुर्रा में 

सने-सने घर आगे 

चिरई-चिरगुन अमलीके 

डारा म सकलागे 

तरिया के पार जैसे 

झमके रे झांझ 

खेत खार बखरी मं 

गहिरागे सांझ।।"

कला-पक्ष - कविता पर पवन दीवान हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषा पर पूर्ण अधिकार रखते हैं। छत्तीसगढ़ी के उत्कृष्ट शब्दों का चयन कर उन्होंने भावानुकूल भाषा का प्रभावोत्पादक प्रयोग किया है। मानवीकरण, ध्वन्यार्थ व्यंजना, अनुप्रास उपमा आदि अनेक अलंकारों के साभिप्राय प्रयोग उनमें मिलते हैं। उनकी रचनाओं में अभिधात्मक अभिव्यक्ति के साथ-साथ व्यंजना की भी प्रधानता मिलती है।

इस प्रकार छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध करने में पवन दीवान का योगदान अविस्मरणीय है।

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