हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन परम्परा में गार्सा-द-तासी के योगदान को स्पष्ट कीजिए।

1. हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन परम्परा में गार्सा-द-तासी के योगदान को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन का सर्वप्रथम प्रयास उन्होंने ही किया। उसका नाम है 'इस्तवार-द-ला लितेश्वर एंदुई हिन्दुस्तानी' यह फ्रेंच भाषा में लिखा गया है। इसका प्रथम भाग सन 1839 ई. और दूसरा भाग सन 1846 ई. में प्रकाशित हुआ। इसमें अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार 700 कवियों का वर्णन है। उन्होंने हिंदी की रचनाओं को चार भागों में विभाजित किया गया है।

Hindi sahitya ke itihas lekhan parampra me garsa d tasi ke yogdan ko spasht kijiye.

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