1. वीरगाथा काल के संदर्भ में आचार्य शुक्ल का क्या कथन है?
उत्तर - आचार्य शुक्ल का इस संदर्भ में कथन है - राजा भोज की सभा में खड़े होकर राजा की दानशीलता का लंबा-चौड़ा वर्णन करके लाखों रुपये पाने वाले कवियों का समय बीत चुका था। राज दरबारों में शास्त्रार्थीयों की भी वह धूम नहीं रह गयी थी। पांडित्य के चमत्कार पर पुरस्कार का विभाजन भी ढीला पड़ गया था। इस समय तो जो भाट या चारण किसी राजा के पराक्रम विजय, शत्रु-कन्या-हरण आदि का अत्युक्तिपूर्ण आलाप करता था या रण-क्षेत्र में वीरों के हृदय में उत्साह की तरंगें भरा करता था, वही सम्मान पाता था।
Veer gatha kaal ke sandarbha me acharya shukla ka kya kathan hai?
Post a Comment