M. A. (First Semester)
EXAMINATION, Dec.-Jan., 2019-20
HINDI
Paper Fourth
(आधुनिक गद्य साहित्य)
[नाटक, एकांकी एवं रेखाचित्र (साहित्य)]
[Maximum Marks: 80
Time: Three Hours ]
नोट: निर्देशानुसार सभी खण्डों के उत्तर यथास्थान दीजिए।
प्रत्येक 1
खण्ड अ
(वस्तुनिष्ठ / बहुविकल्पीय प्रश्न)
नोट: सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सही उत्तर का चयन कीजिए:
1. निम्नलिखित में से कौन सा नाटक 'कल्याणी परिणय' का परिवर्द्धित रूप है ?
(अ) ध्रुवस्वामिनी
(ब) अजातशत्रु
(स) स्कन्धगुप्त
(द) चन्द्रगुप्त
2. निम्नलिखित में से कौन सा पात्र ‘हानूश' में नहीं है ?
(अ) कात्या
(ब) एमिल
(स) गालव
(द) यान्का
3. जयशंकर प्रसाद की अन्तिम नाट्य रचना है:
(अ) कामना
(ब) प्रायश्चित
(स) ध्रुवस्वामिनी
(द) राज्यश्री
4. भीष्म साहनी रचित नाटक निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(अ) आठवाँ सर्ग
(ब) रंग दे बसंती चोला
(स) अंधेरे के राही
(द) त्रिशंकु
5. 'स्नेह से हृदय चिकना हो जाता है, परन्तु निछलने का भी भय रहता है।' यह कथन किसका है ?
(अ) एलिस
(ब) सुवासिनी
(स) मालविका
(द) अलका
6. भीष्म साहनी द्वारा रचित 'हानूश' का सन् बताइए
(अ) 1975
(ब) 1977
(स) 1978
(द) 1979
7. 'अतीत के चलचित्र' की रूपविधा क्या है ?
(अ) आत्मकथा
(ब) जीवनी
(स) निबन्ध
(द) रेखाचित्र
8. 'जो आदमी अपने परिवार का पेट नहीं पाल सकता, उसकी इज्जत कौन औरत करेगी।" यह कथन किसका है ?
(अ) यान्का
(ब) कात्या
(स) पादरी
(द) एमिल
9. भीष्म साहनी द्वारा किस फिल्म में 'चर्चित भूमिका' निभायी गई ?
(अ) गरम हवा
(ब) भाभी
(स) मोहन जोशी हाजिर हो
(द) वक्त
10. भीष्म साहनी को न मिलने वाला पुरस्कार कौन सा है ?
(अ) पद्मश्री
(ब) पद्म भूषण
(स) साहित्य अकादमी
(द) संगीत नाटक अकादमी
11. निम्नलिखित एकांकियों में से रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित एकांकी नहीं है:
(अ) बादल की मृत्यु
(ब) रजत रश्मि
(स) नारी के रंग
(द) रेशमी टाई
12. 'ये नूपुर मेरे पैरों में पड़े हैं, तो इनका भाग्य भी है। मेरे पैरों की गति में गीत गाते हैं, तो वह भी इनका भाग्य है।" यह कथन किसका है ?
(अ) पन्ना
(ब) सामली
(स) कीरत
(द) सोना
13 'एक दिन' किस प्रकार की एकांकी है ?
(अ) ऐतिहासिक
(ब) पौराणिक
(स) सामाजिक
(द) मनोविश्लेषणात्मक
14. पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण हमारे लिए उपयुक्त नहीं है पाठ्यक्रम में सम्मिलित कौन सी एकांकी ऐसा संदेश देती है ?
(अ) मम्मी-ठकुराइन
(ब) तौलिए
(स) एक दिन
(द) रीढ़ की हड्डी
15. मैं ऐसे नाटक लिखना चाहता हूँ जिसमें बदसूरती बेनकाब कर दी गई हो कोई घिनौना नासूर साफ करके दिखा दिया हो। स्वप्न में रोते हुए इंसान के आँसुओं को मूर्त कर दिया गया हो।" यह कथन किस एकांकीकार का है ?
(अ) लक्ष्मीनारायण मिश्र
(घ) लक्ष्मीनारायण लाल
(स) उपेन्द्रनाथ 'अश्क'
(द) जगदीशचन्द्र माथुर
16. एकांकी 'तौलिए' के पात्र निम्नलिखित हैं:
(अ) राजनाथ, मोहन, शीला, निरंजन
(ब) बसंत, मधु, सुरो, चिन्ती
(स) नीता, अजय, खन्नाबाबू बहादुर (द) उमा, प्रेमा, शंकर, रतन
17. 'मूर्खेश्वर-राजा' के एकांकीकार हैं:
(अ) रामनरेश त्रिपाठी
(ब) उदयशंकर भट्ट
(स) भगवतीचरण वर्मा
(द) जगदीशचन्द्र माथुर
18. "बर्बर बनने की क्या जरूरत है ? आदमी सीमाओं को छूता हुआ क्यों चले ? मध्य का मार्ग क्यों न अपनाये। न इतना खुले कि बर्बर दिखाई दें, न इतना बँधे कि सनकी।" यह कथन किस एकांकी का है ?
(अ) तौलिए
(ब) रीढ़ की हड्डी
(स) एक दिन
(द) मम्मी-ठकुराइन
19. किसी भी एकाकी में कौन-सा तत्व अनिवार्य नहीं है ?
(अ) कुतूहल की प्रधानता
(ब) सीमित पात्र
(स) अनेक घटनाएँ
(द) चरम सीमा
20. भारत में सबसे पहला पाश्चात्य रंगमंच कहाँ स्थापित हुआ ?
(अ) मुम्बई
(ब) उज्जैन
(स) बंगाल
(द) कर्नाटक
खण्ड-ब
प्रत्येक 2
(अति लघु उत्तरीय प्रश्न)
नोट: सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1. नाटक 'चन्द्रगुप्त' में कितने अंक हैं ?
2. हिन्दी एकांकी का जन्मदाता किसे कहा जाता है ? उक्त एकांकी का नामोल्लेख भी कीजिए।
3. कुँवर उदयसिंह के पिता का नाम बताते हुए उसके राज्य का उल्लेख कीजिए।
4. 'यह अवसर न दीजिए कि स्त्री की जीभ चले, वह तर्क करे, प्रगल्मा और वाचाल बने।' यह कथन किस एकांकी से उद्धृत है एवं किसका कथन है ?
5. 'रीढ़ की हड्डी' के रचयिता का नाम बताते हुए उसमें उठायी गई समस्या का भी उल्लेख कीजिए।
6. एकांकीकार उपेन्द्रनाथ 'अश्क' का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
7. हिन्दी साहित्य में ‘आत्मपरक रेखाचित्र' लिखने वाले किसी एक साहित्यकार का नाम बताते हुए उक्त रेखाचित्र का नाम भी लिखिए।
8. लक्ष्मीनारायण लाल की किन्हीं दो एकांकियों के नाम लिखिए।
खण्ड-स
प्रत्येक 3
(लघु उत्तरीय प्रश्न )
नोट: सभी प्रश्नों के उत्तर 30 से 75 शब्दों में दीजिए।
1. भीष्म साहनी की 'रचनादृष्टि' पर टिप्पणी कीजिए।
2. 'कल्याणी' कौन है ? 'चन्द्रगुप्त' एकांकी में उसकी क्या भूमिका है ?
3. यवनिका-विधान साहित्य की किस विधा से सम्बन्धित है, यह क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
4. 'दीपदान' एकांकी किस ऐतिहासिक प्रसंग पर आधारित है ? लिखिए।
5. 'मम्मी ठकुराइन' एकांकी की कुछ तकनीकी विशिष्टताओं को लिखिए।
6. कात्या (हानूश नाटक) की पात्रा के किन्हीं तीन गुणों का उल्लेख कीजिए।
7. 'रेखाचित्र' कौन सी विधा है ? कुछ महत्वपूर्ण 'रेखाचित्र लेखकों के नाम लिखिए।
8. हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र साहित्य किस प्रकार वर्गीकृत है ? कुछ उदाहरणों द्वारा उत्तर दीजिए।
खण्ड-द
प्रत्येक 5
(दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
नोट: सभी प्रश्नों के उत्तर 75 से 150 शब्दों में दीजिए।
1. नाटक 'चन्द्रगुप्त' के मुख्य पात्र / सूत्रधार चाणक्य की चारित्रिक विशेषताओं को सोदाहरण लिखिए।
अथवा
भारतीय नाट्य तत्वों के आधार पर नाटक 'हानूश' की विवेचना कीजिए।
2. हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र विधा में महादेवी वर्मा के स्थान को रेखांकित करते हुए उनके द्वारा रचित प्रमुख रेखाचित्रों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
'अतीत के चलचित्र' को ध्यान में रखते हुए महादेवी वर्मा के गद्यशिल्प की समीक्षा कीजिए।
3. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
“समीर की गति भी अवरुद्ध है, शरीर का फिर क्या कहना! परन्तु मन में इतने संकल्प और विकल्प ? एक बार निकलने पाता तो दिखा देता कि इन दुर्बल हाथों में साम्राज्य उलटने की शक्ति है और ब्राह्मण के कोमल हृदय में कर्तव्य के लिए प्रलय की आँधी चला देने की कठोरता भी है। "
अथवा
"सियाने यह भी कह गए हैं कि जो अतीत से सबक हासिल नहीं करता, वह वर्तमान में भी अंधा और भविष्य में भी अन्धा बना रहता है। आप कहते हैं, मैं पीछे मुड़कर नहीं देखा करूँ, मुझे इस ब्याह में मिला क्या है ? छोटी-सी थी जब मैं इसके घर ब्याह कर आयी थी। घर में हानूश को कोई पूछता ही नहीं था। दुनिया में इज्जत भी उसी की होती है। जिसका घरवाला कमाने वाला हो।"
4. निम्नलिखित गद्यांश की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
"इस युग में हम अपना सब कुछ विदेशी आँखों से देख रहे हैं। स्वतन्त्रता का उत्सव हम मना रहे हैं, अपने को भूलकर अपने गुण और अपनी मान्यताओं को भूलकर। आगे चलने में जो पीछे घूमकर देखते नहीं थे, वही अब दूसरों के पीछे सरपट दौड़ रहे हैं। स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र नारी को अब सब कुछ फाड़ फेंकना है।"
अथवा
“आप लोगों ने तो हम पर फूल बरसा दिये। हम सीधे हैं, तभी तुम्हारी नजरों में हम गंदे और बदतमीज हैं जादू-टोना डालते हैं, हम। लेकिन एक बार फिर से सोच लो मास्टर साहब अपनी जिन्दगी के बारे में, जो तुम जी रहे हो, वह तुम्हारी जिन्दगी नहीं है, नकल है, नाटक है, दिखावा है ।"
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