दोहे की परिभाषा क्या है?

 मैं जब कक्षा दसवीं में पढ़ रहा था तो कई बार मेरे मन में यह प्रश्न आया करता था आखिर दोहा की उचित परिभाषा क्या हो सकती है, यह संस्कृत में भी और हिंदी में होते हैं दोहे की परिभाषा क्या है? इस प्रश्न का जवाब आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आज जानने वाले हैं। 

दोहे की परिभाषा

दोहा महान कवियों के द्वारा अपनी बात को लोगों तक कम शब्दों में व्यक्त करने के लिए इसका उपयोग किया जाता था दोहा आज के समय में नहीं के बराबर प्रयोग में लाया जाता है। 

दोहा की व्याकरणिक परिभाषा इस प्रकार है जो की हिंदी साहित्य में प्रयोग किया जाता है -

दोहा की परिभाषा - दोहा (दो लाइन की कविता) अर्द्धसम मात्रिक छंद है। (अर्थात जिसके दो पंक्तियों में से आधे-आधे पंक्तियों की मात्रा समान हो जैसे पहली पंक्ति का प्रथम भाग एवं दूसरी पंक्ति का प्रथम भाग इन्हें विषम चरण भी कहते हैं।) 

यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। 

विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (अर्थात छोटी बड़ी फिर छोटी मात्रा का प्रयोग किया जाता है।) (। ऽ।)

दोहा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए यह पोस्ट जरूर पढ़ें -

  • दोहा की परिभाषा - दोहा किसे कहते हैं

Related Posts

Post a Comment