तुलनात्मक साहित्य की आवश्यकता क्यों?

 Hello Dear आपका स्वागत है यार एक नए पोस्ट में इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं इंटरनेट में पूछे जाने एक प्रश्न के सम्बंध में मैं किस प्रश्न के बारे में बात करने जा रहा हूँ यह आपको पता चल ही गया होगा।

मैं बात कर रहा हूँ तुलनात्मक साहित्य की आवश्यकता के बारे में आखिर हमें क्यों पड़ती है तुलनात्मक साहित्य की आवश्यकता?

तो चलिए जानते हैं विस्तार से तुलनात्मक साहित्य के बारे में एक एक वर्ड का मतलब हम यहां जानने वाले हैं।

सबसे पहले हम आपको बता देते हैं। साहित्य के बारे में,

 साहित्य एक अपने विचार को व्यक्त करने का एक अच्छा माध्यम है जिसमें हम लोगों के हितों को ध्यान में रखकर कोई रचना करते हैं। साहित्य का अर्थ ही होता है जो समाज के हित में लिखा जाए वहीं साहित्य होता है।

तुलनात्मक साहित्य क्या है?

तुलना करना किसी के गुण को पहचानने का एक अच्छा माध्यम है।

हम तुलना करते हैं एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की हम तुलना करते हैं एक वस्तु की दूसरे वस्तु से उसी प्रकार हम तुलना करते हैं एक साहित्यिक रचना की दूसरे साहित्यिक रचना से।

इस प्रकार यह साहित्य से साहित्य की तुलना करके उसका अध्ययन करना साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन कहलाता है।

तुलनात्मक साहित्य की आवश्यकता क्यों?

साहित्य समाज का दर्पण होता है और साहित्य के बिना समाज के अच्छे या बुरे होने की उसके स्वभाव की कल्पना भी नहीं कि जा सकती क्योंकि कुछ भी मौखिक सम्भव नहीं है।

साहित्य में होने वाले बदलावों की वजह से हमें इसके तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता पड़ती है।

जैसे कि हम बात करें बांग्ला साहित्य की तो बांग्ला साहित्य में भी ऐसी अनेक रचनाएं हैं जो कि हिंदी साहित्य की रचनाओं से मिलती जुलती कहानी को या कविता को व्यक्त करती है।

साथ ही हिंदी में भी बांग्ला का समागम हमें देखने को मिलता है, साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता भी इसलिए आवश्यक हो जाता है जिससे हमें साहित्य की सूक्ष्म से सूक्ष्म बारीकी समझ में आ जाये।

अंतर समझने के लिए भी तुलनात्मक अध्ययन आवश्यक हो जाता है।

Related Posts

Post a Comment