1. रस निष्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - रस की निष्पत्ति को लेकर विभिन्न विद्वानों ने अपने मत इस प्रकार है प्रकट किये हैं -
आइये देखें सबसे पहले भरतमुनि के रस सूत्र को भारतीय काव्यशास्त्र में भरतमूनि के रस सूत्र को रस का आधार माना गया है -
विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगाद्र्स निष्पत्ति:
इस रस सूत्र में यदि हम गौर करें तो इसमें विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भावों पर कोई विवाद नहीं है . इसके संयोग और निष्पत्ति शब्दों को विवाद का विषय बनाया गया है.
भरतमूनि के रस सूत्र के पहले व्यख्याता की बात करें तो इसके पहले व्यख्याता भट्ट लोल्लट थे . ये मीमांसक थे . इनका मत उत्पत्तिवाद माना जाता है .
भट्ट लोल्लट के मत की समीक्षा आचार्य भट्ट शंकुक ने की . भट्ट शंकुक नैयायिक थे . उन्होंने निष्पत्ति का अर्थ अनुमिति अर्थात अनुमान माना है . इन्होने संयोग का अर्थ अनुमान और निष्पत्ति का अर्थ अनुमिति माना है .
भट्ट लोल्लट की अनुमितिवाद की आलोचना भट्टनायक ने की है . भट्टनायक शांख्यदर्शन पर विश्वास करते थे . इनका मत मुक्तिवाद कहलाता है . इन्होंने रसानुवाद का सम्बन्ध दर्शक और पाठक से माना तथा भावकत्व और भोजकत्व शक्तियाँ मानी हैं .
अभिनवगुप्त रस निष्पत्ति के अंतिम आचार्य थे . इनका मत अभिव्यक्तवाद कहलाता है . ये शैव-दर्शन से प्रभावित थे . इसलिए इन्होंने रस को आनन्दस्वरूप माना है .
Ras ki nishpatti par prakash daliye?
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