औचित्य के भेदों का वर्णन कीजिए।

 प्रश्न 16. औचित्य के भेदों का वर्णन कीजिए।

औचित्य सिद्धांत के भेद

उत्तर—औचित्य के आचार्य क्षेमेन्द्र ने औचित्य के 27 भेद बताए हैं। ये भेद निम्न प्रकार हैं -

(1) पद, (2) वाक्य, (3) प्रबन्ध, (4) गुण, (5) अलंकार, (6) रस, (7) क्रिया, (8) कारक, (9) लिंग, (10) वचन, (11) विशेषण, (12) उपसर्ग, (13) निपात, (14) देश (15) काल, (16) कुल, (17) व्रत, (18) तत्व, (19) सत्य, (20) अभिप्राय, (21) विभाव, (22) सारसंग्रह, (23) प्रतिभा, (24) विचार (25) नाम, (26) आशीर्वचनम्, (27) प्रत्यय। 

औचित्य सिद्धांत के विषय में इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए -

(1) रसानुभूति में चमत्कार उत्पन्न करने वाला - औचित्य रसानुभूति में चमत्कार उत्पन्न करने में सक्षम होता है। इस प्रकार औचित्य रस का जीवन है। चमत्कार को भी रस का जीवन बताया जाता है। 

(2) औचित्य सिद्धांत की मौलिकता - यह प्रश्न उपस्थित होता है कि औचित्य का सिद्धांत मौलिक है अथवा काव्य का सहायक सिद्धांत है। क्या औचित्य को दोष परिहार भी माना जा सकता है। 

(3) औचित्य स्थापना काव्य के अंग के रूप में - कुछ आचार्य औचित्य को काव्य का अंग भी मानते हैं।

Auchitya ke bhedo ka varnan kijiye?

    आपके कोई प्रश्न हों या कोई भी डाउट हो तो कमेंट में लिखें हम जोरों से इस ब्लॉग पर काम कर रहे हैं।

Related Posts

Post a Comment