औचित्य सिद्धांत की स्थापनाओं का वर्णन कीजिए।

 प्रश्न 15. औचित्य सिद्धांत की स्थापनाओं का वर्णन कीजिए। 

औचित्य सिद्धांत की स्थापनाएं

उत्तर-औचित्य शब्द का अर्थ है - उचित का भाव। औचित्य सिद्धांत के संस्थापक आचार्य क्षेमेन्द्र हैं। उन्होंन औचित्य की जो परिभाषा प्रस्तुत की है, उसका अर्थ इस प्रकार है-"जो वस्तु अथवा तत्व किसी के निश्चय ही अनुरूप हो, उसे आचार्यों ने उचित कहा है। उचित का भाव ही औचित्य है।" औचित्य को काव्य का तत्व स्वीकार करते हुए कहा है - "औचित्य रससिद्ध काव्य का स्थिर जीवन है ।" 

    आचार्य क्षेमेन्द्र ने यह भी कहा है कि औचित्य के बिना अलंकार भी गुणयुक्त नहीं हो सकते । स्त्री पुरुष का उदाहरण देते हुए औचित्य की बात निम्न प्रकार कही है -

कंठे मेखलया नितम्बफलके तारेण हारेण वा, 

पाणौ नूपुर बन्धनेन चरणे केयूर पाशेन वा।

शौर्येण प्रणते रिषौ करुणया नामान्ति के हास्यताम्। 

(गले में करधनी, नितम्ब पर लम्बा हार, हाथ में नूपुर और चरणों में नूपुर बांधने से कौन-सी नारी तथा प्रणाम करने वाले के प्रति शूरता, शत्रु पर करुणा से कौन-सा पुरुष हंसी का पात्र नहीं बनता । औचित्य के बिना अलंकार और गुण भी कुछ नहीं करते।)

    Auchitya siddhant ki sthapnao ka warnan kijiye.

औचित्य सिद्धांत के संस्थापक क्षेमेन्द्र से संबंधित आपके कोई प्रश्न हों तो जरूर पूछिए।

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