ध्वनिवादी काव्य के प्रमुख भेदों का वर्णन कीजिए।

 प्रश्न 12. ध्वनिवादी काव्य के प्रमुख भेदों का वर्णन कीजिए। 

ध्वनिवादी काव्य के प्रमुख भेद

उत्तर- आचार्य आनन्दवर्धन ने ध्वनि के निम्नलिखित दो भेद माने है-

  1. अविवक्षित वाच्य - लक्षणामूलक ध्वनि ही अविवक्षित वाच्य ध्वनि है। जिसका मुख्य अर्थ अविवक्षित रहे अर्थात् उसके कहने की इच्छा न हो, वहाँ अविवक्षित वाच्य ध्वनि होती है। 
  2. विवक्षितान्य पर वाच्य - अभिधामूलक ध्वनि के विवक्षितान्य पर वाच्य ध्वनि कहते हैं। जहाँ वाच्य अर्थ विवक्षित होने पर भी व्यंग्य अर्थ के प्रति निष्ठ होती है, वह विवक्षितानि पर वाच्य ध्वनि है। 

ध्वनि काव्य के भेद - 

ध्वनि काव्य के आनन्दवर्धन तथा अन्य ध्वनिवादी आचार्यों ने निम्नलिखित भेद माने हैं -

  1. अविवक्षित वाच्य - इस ध्वनि काव्य में वाव्य या तो अर्थान्तर में संक्रमित हो जाता है अथवा अत्यन्त तिरस्कृत हो जाता है।
  2. विवक्षित वाच्य ध्वनि - जहाँ पर वाच्य विवक्षित होता हुआ भी व्यंग्यनिष्ठ होता है, वहाँ उस काव्य का विवक्षित काव्य ध्वनि होता है। यहाँ पर अन्य पद व्यंग्यनिष्ठ  हैं अर्थात् विवक्षित वाच्य ध्वनि एक तथा असंलक्ष्य क्रम व्यंग्य ध्यनि और दूसरा संलक्ष्य क्रम व्यंग्य होता है। आचार्य मम्मट ने लिखा है कि अलक्ष्य पद से सूचित होता है कि भाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव ही रस हैं।

    Dhwaniwadi kavya ke pramukh bhedon ka varnan kijiye?

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