प्रश्न 3. अरस्तू के त्रासदी विवेचन का परिचय दीजिए।
उत्तर- संस्कृत के आचार्यों ने काव्य की अपेक्षा नाटक को रमणीय माना है। इसका कारण उसका अभिनय है। भारतीय मान्यता के अनुसार सभी नाटक सुखान्त होने चाहिए। इस प्रकार के नाटकों को अरस्तू ने 'कॉमेडी' (Comedy) कहा है। इसके पर्याय के रूप में हिन्दी में 'कामदी' शब्द का प्रचलन है, जिसका तात्पर्य सुखांत नाटक से है। अरस्तू ने कॉमेडी की अपेक्षा ट्रेजेडी अथवा दुखान्त नाटक को श्रेष्ठ माना है। अरस्तू ने त्रासदी के विषय में जो कहा है, उसका हिन्दी अनुवाद निम्न प्रकार है -
" त्रासदी किसी गम्भीर, स्वतः पूर्ण तथा निश्चित आयाम से युक्त कार्य की अनुकृति होती है। उसका माध्यम नाटक के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न रूप में प्रयुक्त सभी प्रकार के आभरणों ( अलंकारों) से अलंकृत भाषा होती है जो समाख्यान अर्थात् वर्णन रूप में न होकर कार्य-व्यापार रूप में होती है। उसमें करुणा तथा त्रास के उद्रेक द्वारा इन मनोविकारों का उचित विरेचन किया जाता है।" अरस्तू ने त्रासदी का प्रयोजन दया तथा भय को जगाने वाली घटनाओं के प्रस्तुतीकरण द्वारा उन भावों का विरेचन माना है।
अरस्तू का त्रासदी विवेचन
arastu ka trasdi vivechan
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