1. कीनैं हूँ कोरिक जतन अब कहि काढ़ै कौनु।
भो मन मोहन-रूप मिलि पानी मैं कौ लौनु।। इस दोहे में क्या प्रस्तुत है?
उत्तर - उपर्युक्त दोहे की पंक्तियों में नायिका का कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम व्यंजित है।
नायिका के मन रूपी सरोवर में कृष्ण का लावण्य पानी में नमक की तरह घुल गया है।
उपर्युक्त पंक्तियां बिहारी सतसई से ली गयी हैं जिसका सम्पादन जगन्नाथ दास रत्नाकर ने किया था।
जगन्नाथ दास रत्नाकर का जन्म 1866 में हुआ था और मृत्यु 22 जून 1932 को हुआ था।
Kinai hun korik jatan ab kahi kadhai kaunoo.
Bho man mohan roop mili pani mai kau launu.
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