सांकेतिक भाषा क्या है - sign language in hindi

साइन लैंग्वेज जिन्हें सांकेतिक भाषा भी कहा जाता है। ऐसी भाषाएं हैं जो अर्थ को व्यक्त करने के लिए विज़ुअल-मैनुअल मोडैलिटी का उपयोग करती हैं। अर्थात इसारे का प्रयोग किया जता है। 

सांकेतिक भाषा क्या है

सांकेतिक भाषा हाथ के संकेतों, हावभाव, चेहरे के भाव और शरीर की भाषा के माध्यम से संवाद करने का एक साधन है।

इस भाषा को बोल न सकने वालो के लिए बनाया गया है ताकि वे भी दुसरो से कंनेक्ट हो सके और इस सीखने के लिए स्कूल भो होते है। जिसमे सांकेतिक भाषा को शिखाया जाता है। सांकेतिक भाषाएं अपने स्वयं के व्याकरण और शब्दकोश के साथ पूर्ण प्राकृतिक भाषाएं भाषा हैं। 

यूनिवर्सल भाषा नहीं है

दुनिया भर में एक भी सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया है। बोली जाने वाली भाषा की तरह, सांकेतिक भाषाएं स्वाभाविक रूप से लोगों के विभिन्न समूहों के माध्यम से विकसित होती हैं जो एक-दूसरे के साथ बातचीत करती हैं, इसलिए कई किस्में हैं। आज दुनिया भर में 138 और 300 विभिन्न प्रकार की सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है।

सांकेतिक भाषा दिवस

विश्व में 23 सितंबर को International Day of Sign Languages (सांकेतिक भाषा दिवस) मनाया जाता है यह दिन उन लोगों या व्यक्तियों के लिए समर्पित है जो की बोल व सुन नहीं सकते हैं। तथा शारीरिक रूप से अपंग है उन लोगों के लिए इस दिन को समर्पित किया गया है।

सांकेतिक भाषा का उदाहरण

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यहां पर मैं भारत में प्रयोग किए जाने वाले सांकेतिक भाषा के बारे में थोड़ी सी जानकारी साझा किया गया है। 

भारत में सांकेतिक भाषा को सिखाने के लिए 2001 तक कोई औपचारिक कक्षाएं प्रारंभ नहीं की गई थी। 2003 में की गई गणना के अनुसार लगभग 100 हजार गूंगे और बहरे लोगों के द्वारा संकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता था।

भारत की जो सांकेतिक भाषा है वह पाकिस्तान के सांकेतिक भाषा के समान ही है अर्थात इसे indo-pak sign language के नाम से जाने जाते हैं।

जिस प्रकार ब्रिटिश साइन लैंग्वेज ISL में हाथों का उपयोग किया जाता है उसी प्रकार भारतीय सांकेतिक भाषा में भी हाथों का ही प्रयोग किया जाता है।

Bhartiya sign language का संबंध नेपाली भाषा से है।

भारतीय भाषा को NCERT ने सन 2006 में शामिल किया और यह भाषा अन्यत्र की भाषा के तरह ही संचार का एक और माध्यम हैं। NCERT ने इसे तृतीय व वर्ग पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया था। 2008 में भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोगकर्ता लगभग 1.5 million थे।

Ali Yavar Jung National Institute of Speech & Hearing Disabilities (Divyangjan), Mumbai के द्वारा ISL की स्थापना की गई और यहां इसके लिए एक डिप्लोमा कोर्स भी चालू किया गया।

Interesting facts sign language in Hindi

Sign language और body language में ज्यादा अंतर नहीं होता है। 

23 सितम्बर को ही इसे मनाने का कारण WFD है क्योंकि इसी दिन इसकी स्थापना की गयी थी। 

अभी भी यहां स्पष्ट नहीं हो सका है कि सांकेतिक भाषा दुनिया भर में कितने प्रकार के हैं।

प्रत्येक जगह की या देश की अपनी मूल सांकेतिक भाषा होती है जो कि अलग-अलग प्रकार के होते हैं।

सांकेतिक भाषा उतने अधिक प्रचलित नहीं हैं लेकिन फिर भी कई ऐसे संकेतिक भाषाएं हैं जिन्होंने मान्यता प्राप्त कर ली है।

19वीं शताब्दी में ऐतिहासिक संकेतिक भाषा का विकास अल्फाबेटिक भाषा को देखकर किया गया था।

Pedro poas D. Leon (1520-1584) ने पहले सांकेतिक भाषा की manual वर्णमाला विकसित की थी।

Conclusion

आज 23 सितंबर 2019 को आप सभी को विश्व संकेतिक भाषा दिवस हार्दिक शुभकामनाएं। इस भाषा का उपयोग सामान्य लोग भी करते हैं अन्य मुख बधिर गुंगे लोगों से बात करने के लिए तो इसे और ज्यादा फैलाए अपने दोस्तों के साथ साइन ऑफ लव थैंक यू।

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