'जेहि पंखी के निअर होइ, कहै बिरह कै बात।
सोई पंखी जाइ जरि, तरिवर होहिं निपात।।'
ऊहात्मकता के अतिरिक्त उक्त पंक्तियों में व्यक्त भाव की क्या विशेषता है?
उत्तर -
ऊहात्मकता के अतिरिक्त उक्त पंक्तियों में व्यक्त भाव की विशेषता है इसमें विरहताप के वेदनात्मक स्वरूप की अत्यंत विशद, व्यंजना की गई है।
Uhatmakta ke atirikta ukta panktiyon me vyakta bhav ki visheshta kya visheshta hai
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