एम. ए. हिंदी साहित्य
प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य
(द्वितीय प्रश्न-पत्र)
इकाई-1.
चन्दबरदायी : पृथ्वीराज रासो (पद्मावती समय)
प्रश्न 3. पृथ्वीराज रासो का सामान्य परिचय दीजिए।
उत्तर - पृथ्वीराज रासो हिन्दी साहित्य का प्रथम वृहद महाकाव्य और अमरकीर्ति स्तम्भ है जिसकी रखना चन्दवरदाई ने की थी। पृथ्वीराज रासो 2500 पृष्ठों का बड़ा ग्रन्थ है जिसमें 69 सर्ग हैं। इसमें मुख्य रूप से दिल्ली के सम्राट् पृथ्वीराज चौहान की कथा है। पृथ्वीराज के जीवन की वीरगाथाओं का इसमें सजीव वर्णन किया गया है। काव्य-शैली की दृष्टि से यह एक रासक काव्य है। कल्पना और इतिहास का इसमें अच्छा सम्मिश्रण हुआ है। पृथ्वीराज चौहान के चरित्र पर आधारित होने से यह एक चरित-काव्य है जिसका नायक पृथ्वीराज चौहान है। रासो की मुख्य कथा को निम्न बिन्दुओं में बाँटा जा सकता है-
- पृथ्वीराज चौहान का सलक पुत्री इच्छिनी के साथ विवाह।
- पृथ्वीराज चौहान का शशिव्रता के साथ विवाह।
- पृथ्वीशाह चौहान का जयचन्द की पुत्री संयोगिता के साथ विवाह।
- कयमास वध।
- पृथ्वीराज-जयचन्द युद्ध।
- पृथ्वीराज-शाहबुद्दीन युद्ध।
- अन्त में पृथ्वीराज द्वारा शाहबुद्दीन गौरी का वध एवं जयचन्द और पृथ्वीराज द्वारा एक-दूसरे का अन्त।
रासो की इस मुख्य कथा के साथ-साथ बीच-बीच में कुछ अतिमानवीय उपाख्यानों तथा होली-दीपावली सम्बन्धी किवदन्तियों का भी समावेश किया गया है। पृथ्वीराज रासो की कथा प्रधानतः शुक और शुकी के संवादों के द्वारा बतलाई गई है।
Prithviraj raso ka samanya Parichay dijiye.
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