प‌द्मावती समय का काव्यगत सौन्दर्य बताइए।

एम. ए. हिंदी साहित्य

(प्रथम सेमेस्टर)

प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य

(द्वितीय प्रश्न-पत्र)

इकाई-1.

चन्दबरदायी : पृथ्वीराज रासो (पद्मावती समय)

लघु उत्तरीय प्रश्न - 

प्रश्न 2. प‌द्मावती समय का काव्यगत सौन्दर्य बताइए।

प‌द्मावती समय का काव्यगत सौन्दर्य

उत्तर-'पद्‌‌मावती समय' के काव्य-सौन्दर्य का उ‌द्घाटन भावपक्ष एवं कलापक्ष की विशेषताओं के आधार पर किया जा सकता है-

भाव पक्ष की विशेषताएँ- 'पद्‌मावती समय' रासो का बीसवाँ अध्याय है जिसमें रासो के नायक दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान और समुद्रशिखर के राजा विजयपाल की पुत्री राजकुमारी पद्‌मावती के विवाह का वर्णन किया गया है। 'प‌द्मावती समय' स्वयं में एक पूर्ण कथात्मक काव्य है। इसकी कथा इतिवृत्तात्मक है, परन्तु अनुभूतिपूर्ण मार्मिक स्थलों के वर्णन से समस्त कथानक रसात्मक बन गया है। 'प‌द्मावती समय' श्रृंगार रस-प्रधान काव्य है। इसका प्रारम्भ और अन्त श्रृंगार रस से होता है किन्तु यदि प्रधान रस की दृष्टि से देखा जाए तो इस सर्ग में वीर रस का भी सुन्दर परिपाक हुआ है। श्रृंगार रस का एक उदाहरण द्रष्टव्य है-

"कुटिल केश सुदेश, पौहप रचियत पिक्क सद। 

कमल गंध वयसंघ, हंसगति चलत मन्द मन्द ॥

स्वेत वस्त्र सोहै, सरीर, नष स्वांति बुन्द जस।

भ्रमर भंवहि भुल्लहिं सुभाव, मकरन्द बास रस ॥"

उपर्युक्त उद्धरण में प‌द्मावती के अंग-प्रत्ययों के सौन्दर्य-चित्रण में श्रृंगार की अनुपम छटा दिखाई देती है।

कला पक्ष की विशेषताएँ- 'प‌‌द्मावती समय' में कुल मिलाकर पाँच प्रकार के छन्दों का प्रयोग हुआ है जो इस प्रकार हैं - दुहा, गाथा, कवित्त, पद्धरि तथा भुजंगी। प‌‌द्मावती समय में दूहा और कवित्त इन दोनों छब्दों का प्रयोग सर्वाधिक हुआ।

'प‌द्मावती समय' की भाषा को देखा जाए तो इसका मूल गठन ब्रजभाषा का ही प्रतीत होता है। अतः इसकी भाषा को डिंगल नहीं क्योंकि इसकी भाषा में ब्रजभाषा की सुमधुर ललित पदावली का सुन्दर रूप उभरता दिखाई देता है, विशेष रूप से उन स्थलों पर जहाँ की कोमल भावनाओं, रूपों एवं दृश्यों का चित्रण करता है। अपभ्रंश मिश्रित इस ब्रजभाषा को पिंगल कहना ही अधिक उपयुक्त है। इसका एक उदाहरण प्रस्तुत है-

"मनहुँ कला ससिभान, कला सोलह सो बन्निय। 

बाल बैस ससि ता समीप, अंसित रस पिन्निय।"

'पद्‌मावती समय में ब्रजभाषा का प्रौढ़ रूप भी देखा जा सकता है।

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि 'पद्‌मावती समय' में जहाँ एक ओर भावानुभूतिपूर्ण काव्य-सौष्ठव मिलता है, वहीं दूसरी ओर कल्पना के साथ अभिव्यक्ति कौशल भी देखते ही बनता है। अपने सुगठित कथानक, सुन्दर रस एवं छब्द विधान तथा भाषा-शैली की दृष्टि से 'पद्‌मावती समय' अपने अप्रितम काव्य-सौन्दर्य की दृष्टि से एक सफल काव्यग्रन्थ है।

Padmavati samay ka kavyagat Soundarya bataiye.

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