1. "किसी भाषा के साहित्य का निर्माण अन्य भाषाओं के साहित्य से नितांत पृथकता की अवस्था में नहीं होता और उसे अन्य भाषाओं के इतिहास से अलग करके नहीं देखा या लिखा जा सकता।" यह मंतव्य किस साहित्यकार का है?
उत्तर - उपर्युक्त मंतव्य डॉ. रामविलास शर्मा का है।
"Kisi bhasha ke sahitya ka niram anya bhashao ke sahitya se nitant prithakta ki avstha me nahi hota aur use anya bhashao ke itihas se alag karke nahi dekha ya likha ja sakta." yah mantavya kis sahitykar ka hai?
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