आधुनिक भारतीय साहित्य की मूल प्रवृत्ति पर किस साहित्य का प्रभाव रहा है?

1. आधुनिक भारतीय साहित्य की मूल प्रवृत्ति पर किस साहित्य का प्रभाव रहा है?

  • आधुनिक भारतीय साहित्य की मूल प्रवृत्ति पर साहित्य का प्रभाव

उत्तर - आधुनिक भारतीय साहित्य की मूल प्रवृत्ति के रूप में नाथ-साहित्य का सर्वाधिक महत्व है। दो-चार को छोड़ प्रायः सभी भाषाओं के प्रारम्भिक साहित्य के विकास में नाथपंथी तथा शैव साधुओं का महत्वपूर्ण योग रहा है। स्वभावतः नाथ साहित्य का सृजन दक्षिण में उत्तरी और पूर्वी भारत की अपेक्षा बहुत कम हुआ है। दक्षिण में तो शैवधर्म का तो अत्यधिक प्रचार था किन्तु वहाँ के कवि शैव-योगियों की अपेक्षा शिवभक्त ही अधिक थे। शैव दर्शन से प्रभावित तांत्रिक साधनाओं का प्रचार वहाँ नहीं था। 

तमिल के नायनमार, तेलगु के पालकुरिकी तथा अनेक परवर्ती कवि, कन्नड़ में वीरशैववाद के उन्नायक बसवेश्वर आदि उत्तर भारत के नाथ और सिध्द कवियों की तरह नहीं थे। उत्तर और पूर्व के सिद्ध और नाथ कवि योगी अथवा तांत्रिक साधक थे। फिर भी नाथ-प्रभाव सुदूर दक्षिण तक पहुंच गया था। नवनाथचरित्रम (तेलुगु) आदि कृतियाँ इसका प्रमाण हैं। 

मराठी और बंगला में नाथ-साहित्य की विशिष्ठ धरा प्रवाहित हुई। मराठी में तो स्वयं गोरखनाथ की ही वाणी मिलती है जिसका नाम है 'अमरनाथ सनवड' - इस वर्ग में दूसरा प्रसिद्ध नाम है गैगीनाथ का। बंगभूमि तो नाथ सम्प्रदाय का गढ़ बन चुकी थी। गुण और परिणाम दोनों की दृष्टि से बंगला का नाथ-साहित्य सर्वाधिक समृद्ध है। उसमें बौद्धों के सहजिया सम्प्रदाय का साहित्य और चर्यागीत आदि की धारा घुल-मिल गयी हैं। 

असमिया तथा उड़िया के प्राचीन काव्य में नाथ आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट लक्षित होता है। बंगाल के बाद इस सम्प्रदाय का दूसरा विकास-केंद्र था पंजाब। उन दिनों पंजाब से लेकर बंगाल तक मुस्लिम साम्राज्य की जमती जड़ों के साथ मुस्लिम सूफी दर्शन का प्रसार भी तेजी से हुआ था। इसी कारण उस हिंदी का विकास, जो बाद में उर्दू नाम से अलग भाषा के रूप में भारत के मुस्लिम समुदाय की मातृभाषा बनी, तेजी से हुआ। 

सूफी-संतों ने हिन्दू जनता को प्रभावित करने के लिए नाथों और सिद्धों की रहस्यात्मक तंत्र साधनाओं को सीखा। इसका मुख्य कारण था - अलौकिक चमत्कारों द्वारा तंत्र साधनाओं से जिन्हें करने की शक्ति प्राप्त की जाती थी, जनता को अपने प्रभाव में लाना। 

निष्कर्ष - इस प्रकार देखा जाए तो मुख्य रूप से आधुनिक भारतीय साहित्य की मूल प्रवित्ति पर नाथ साहित्य का प्रभाव रहा है मुख्य रूप से। 



Aadhunik bhartiya sahitya ki mul pravritti par kis sahitya ka prabhav raha hai?

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