भारतीय साहित्य का परिचय दीजिये। उसके परिवार विभाजन के स्वरूप से आप क्या समझते हैं?

 1. भारतीय साहित्य का परिचय दीजिये। उसके परिवार विभाजन के स्वरूप से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - 

  • भारतीय साहित्य का परिचय-

उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक, पूरब में आसाम से लेकर गुजरात तक के विशाल विस्तार में इस देश (भारत) में बोली जाने वाली भाषाएँ यों अनेक हैं परन्तु मुख्य भाषाएँ जिनका साहित्य प्राचीनता, वैविध्य, गुण तथा परिमाण में अत्यंत समृद्ध है, वह हैं - उत्तर-पश्चिम में मराठी और गुजराती और दक्षिण में तमिल, तेलगू, कन्नड़ और मलयालम। 

इनके अतिरिक्त कश्मीरी, डोगरी, सिंधी, कोंकणी, तुरू आदि भाषाओं का साहित्यिक एवं भाषा वैज्ञानिक महत्व कम नहीं है। संस्कृत, पाली, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाएँ इनकी जननी श्रृंखला को वैदिक संस्कृत तक ले जाती हैं, जो संसार की सबसे प्राचीन भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हैं, क्योंकि ऋग्वेद संसार के प्राचीनतम ग्रंथ के रूप में मान्य है। 

साहित्य, मूल रूप में संस्कृति की अभिव्यक्ति है, लिपि और वर्णमाला के जन्म और विकास में भी सांस्कृतिक संक्रमण और प्रभाव का योगदान जिस प्रकार कभी हुआ था, उसी प्रकार साहित्य के विकास में भी हुआ। देश-देशान्तरों में  मनुष्य के आवागमन ने संस्कृतियों का संक्रमण संभव किया, परन्तु इस प्रकार के संक्रमण के यथार्थ ऐतिहासिक साक्ष्य उपेक्षित हैं, सिवाय इसके की भाषाएँ तथा साहित्य स्वयं क्या बोलते हैं? भाषाशास्त्रियों तथा इतिहासकारों की कल्पनाएँ उनके यथार्थ को प्रकट करने में समर्थ नहीं हैं। 

  • भारतीय साहित्य परिवार विभाजन के स्वरूप-

भारतीय भाषाओं को भाषाशास्त्रियों ने दो परिवारों में बाँटा है - आर्य परिवार और द्रविन्द परिवार। सम्भवतः यह विभाजन इतिहासकारों की कल्पना के आधार पर ही किया गया है, अर्थात पहले संस्कृतियों का परिवार विभाजन माना गया, तथा बाद में उनकी भाषा और संस्कृतियों को नाम दिए गए। निश्चित रूप से यह बिंदु हमारे प्रस्तुत विचार क्षेत्र में सम्मिलित नहीं हैं, लेकिन इतना कहा जा सकता है की अभी तक इस संबंध में हुई कल्पनात्मक व्याख्याएँ, संभव हैं पूर्ण रूप से निराधार न हों, लेकिन पूरी तरह यथार्थ के निकट भी नहीं है। विशेष रूप से परिप्रेक्ष्य में की यूरोपियन इतिहासकार भी अपने यहां की भाषाओं का उद्भव आर्य भाषा से मानते हैं। 

Bhartiya sahitya ka parichay dijiye. uske parivar vibhajan ke swaroop se aap kya samjhate hai?

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