स्वन विज्ञान के स्वरूप पर प्रकाश डालिये।

1. स्वन विज्ञान के स्वरूप पर प्रकाश डालिये। 

उत्तर - स्वन विज्ञान के स्वरूप - 

ध्वनि के अध्ययन से संबंधित शास्त्र या विज्ञान ध्वनि विज्ञान कहलाता है। अंग्रेजी में ध्वनि विज्ञान के लिए 'फोनेटिक्स' और 'फोनोलॉजी' ये दो शब्द प्रयुक्त होते हैं। इनमें फोन का अर्थ ध्वनि है। टिक्स का तथा लॉजी का अर्थ विज्ञान है। फोनेटिक्स में भाषा, ध्वनि, ध्वनियों को उत्पन्न करने वाले अंग ध्वनियों का वर्गीकरण और उसके स्वरूप का वैज्ञानिक अध्ययन रहता है। जबकि फोनोलॉजी का संबंध भाषा विशेष से होता है। इसमें किसी भाषा या बोली विशेष की ध्वनियों पर विचार करते हैं। इस प्रकार फोनेटिक्स जहां सैद्धांतिक और सार्वभौमिक है वहाँ फोनोलॉजी उसका व्यवहारिक रूप है। कुछ लोग ध्वनि अध्ययन के सैद्धांतिक तथा वर्णात्मक रूप को फोनेटिक्स कहते हैं और उसके ऐतिहासिक रूप को 'हिस्टोरिकल फोनेटिक्स' कहते हैं तथा कुछ लोग फोनोलॉजी का प्रयोग करते हैं। 

अतः व्यवहारिक दृष्टि से इनमें ध्वनि विज्ञान के लिए कोई भेद नही है। भाषा विज्ञान के अंतर्गत जहाँ भाषा में प्रयुक्त ध्वनियों का अध्ययन किया जाता है। उस प्रकरण को ध्वनि विज्ञान कहा जाता है। 'ध्वनि-विचार' तथा वर्ण विज्ञान 'स्वनविज्ञान' इसी के अन्य नाम हैं। संस्कृत में ध्वनि विज्ञान को पहले ध्वनि-शिक्षा कहा जाता था। वेदों में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि ध्वनियाँ ही भाषा का मूल आधार होती है। क्योंकि ध्वनियों की इकाइयों से शब्द या पद बनते हैं और पद (वाक्य) समूह मिलकर संयुक्त भाव भाषा का निर्माण करते हैं। अतः पद विज्ञान वाक्य विज्ञान तथा अर्थ विज्ञान की भाँति ही ध्वनि विज्ञान भी भाषा विज्ञान का महत्वपूर्ण अंग है। क्योंकि भाषा का भवन ध्वनियों के आधार पर ही खड़ा होता है। इसीलिए भाषा विज्ञान के अन्य अंगों की तुलना में भाषा विज्ञान का अध्ययन भी सर्वाधिक हुआ है। 

Bhasha vigyan ke swaroop par prakash daliye.

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