सृजनात्मक भाषा किसे कहते हैं ?

1. सृजनात्मक भाषा किसे कहते हैं ?

उत्तर - दैनिक जीवन में व्यवहार में सामान्य भाषा का प्रयोग होता है। साहित्य-सृजन में परिनिष्ठित और साहित्यिक भाषा का प्रयोग होता है। जब बोलचाल की भाषा में कल्पना नवीनता और मुहावरे आदि का प्रयोग होता है तो सृजनात्मक भाषा का रूप विकसित ही जाता है। 

'डॉ. भोलानाथ तिवारी' ने ऐसी भाषा के विषय में लिखा है। "साहित्यकारों ने साहित्य में सामान्य भाषा का प्रयोग करते-करते साहित्यिक भाषा के रूप में नए नूतन रूप का सृजन किया और सामन्य भाषा और साहित्यिक भाषा में आदान - प्रदान के बावजूद सामन्य भाषा से अलग साहित्यिक भाषा की सत्ता को स्वीकृत मिल गई"

सृजनात्मक भाषा को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया गया है प्रथम गद्यात्मक भाषा तथा द्वितीय पद्यात्मक भाषा है गद्य के अंतर्गत तथा कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध संस्मरण और समीक्षा आदि विधाएँ आती हैं। इन सभी विधाओं की भाषा में विधागत वैशिष्ट्य होना स्वभाविक है , यथा नाट्य भाषा में ध्वन्यात्मकता के साथ रिक्त वाक्य, संबोधनात्मक और प्रश्न वाचक वाक्यों में भाषा का स्वरूप अभिनेयता के लिए वरदान सिद्ध होता है। गद्य साहित्य का भाषायी रूप सामान्यतः व्याकरणसम्मत होता है। 

Srijnatmak bhasha kise kahte hai?

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