1. घनानंद को प्रेम की पीर का कवि क्यों माना जाता है?
उत्तर - घनान्द को प्रेम की पीर का कवि माना जाता है क्योंकि उनकी रचनाओं में वैसे तो हमें संयोग और वियोग दोनों पक्ष देखने को मिलते हैं फिर भी इनकी कविताओं में, पदों में विरह की पीड़ा की विलक्षणता हमें सुजान के प्रति प्रेम की पीड़ा ही देखने को मिलती है। जो की एक सीमा के बाद शब्दातीत मतलब शब्द नहीं बचते हैं, पीड़ा को प्रकट करने के लिए।
इसलिए उन्हें प्रेम की पीर का कवि माना जाता है।
Ghananand ko prem ki pir ka kvi kyo mana jata hai?
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