आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग में पिछले पोस्ट में मैंने आपके साथ साझा किया था पुरस्कार कहानी के सारांश के साथ पूरी कहानी इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं पुरस्कार कहानी का उद्देश्य मैंने पुरस्कार कहानी के उद्देश्य को उसी में लिखना चाहा था लेकिन वह पोस्ट बड़ा हो जाता इस वजह से वहां पर उद्देश्य को नहीं लिखा।
पुरस्कार कहानी को जानने से पहले उस कहानी को आपको एक बार और अच्छे से पढ़ लेना चाहिए ताकि आप परीक्षा में और अच्छे से इसके उद्देश्य को लिख सकें। पुरस्कार कहानी का लिंक निचे है।
पुरस्कार कहानी का उद्देश्य |
पुरस्कार कहानी का उद्देश्य
- हिंदी साहित्य के लगभग सभी विधाओं में पारंगत जयशंकर प्रसाद की इस रचना का उद्देश्य सीधा सा और सरल है राष्ट्र प्रेम और निजी प्रेम में दोनों के महत्व और अंतर को समझाना।
- राष्ट्र प्रेम के साथ-साथ अपने वंश के द्वारा ली गई जमीन को ना बेचना आत्म सम्मान की रक्षा करना अपने आत्म गौरव के लिए किसी भी प्रकार का समझौता न करना इस कहानी का उद्देश्य है।
- इस कहानी में मधुलिका अपने आत्म सम्मान के लिए किसी भी प्रकार का मूल्य ग्रहण नहीं करती हुई दिखाई गई हैं जो की हर इंसान में होना चाहिए एक उद्देश्य यह भी है।
- हिंदी में ऐसे बहुत ही कम रचना देखने को मिलती है जिसमें इन दोनों का चित्रण साथ-साथ और बड़ी ही कुशल वार्ता इस कहानी में प्रस्तुत की गई है।
- मधुलिका इस कहानी की मुख्य पात्रा हैं जिसने माध्यम से इस कहानी के उद्देश्य को जयशंकर प्रसाद ने लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
- पुरस्कार कहानी में राष्ट्र प्रेम को अपने निजी प्रेम से भी ऊपर दिखाने का प्रयास किया गया है जिसमें लेखक सफल भी रहे हैं।
- पुरस्कार कहानी में अरूण नायक है जो की आखिर में इस कहानी का खलनायक भी बनता है जो कौशल को अपने अधिकार में करने के उद्देश्य से मधुलिका के पास आया था।
- मधुलिका की आड़ में अरुण कौशल राज्य के समीप ही मधुलिका को खेती के लिए जमीन की मांग करवाता है ताकि वहाँ रहकर वह युद्ध की तैयारी कर सके।
- इसमें वह सफल भी हो जाता है लेकिन आखिर में मधुलिका की राष्ट्र भक्ति के सामने वह हार जाता है। और अंत में मधुलिका को जब पुरस्कार देने की बात जब महाराज करते हैं तो वह किसी भी तरह के पुरस्कार लेने से मना कर देती है।
- मधुलिका जो की राष्ट्र प्रेम में चूर होने के साथ साथ अपने निजी प्रेम में भी आसक्त थी चुकी उसने लगभग तीन साल अरूण का इंतजार किया था इस वजह से भी उसके प्रेम में बहुत गहराई आ गई थी।
- चुकी वह अरूण से भी उतना ही प्रेम करती थीं जितना की अपने राष्ट्र से इसलिए वह आखिर में वह पुरस्कार के रूप में वहीं दण्ड मांगती है जो की अरूण को दिया गया था।
- इस प्रकार कहानी का अंत पुरस्कार के रूप में मृत्युदंड मांगती हुई मधुलिका से होता है। पुरस्कार कहानी प्रेम और कर्तव्य के द्वंद की कहानी है।
सारांश -
इस प्रकार कहा जा सकता है की पुरस्कार कहानी राष्ट्र भावना को उद्वेलित करने वाली और राष्ट्र के प्रति किस प्रकार का सम्मान लोगों में, लोगों के दिलों में होना चाहिए इसे बताना चाहा है। सबसे ऊचें स्थान पर यहाँ राष्ट्र प्रेम को रखा गया है।
आपको किसी भी प्रकार की परेशानी हो सोशल मिडिया के माध्यम से मुझसे जुड़े।
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