पुरस्कार कहानी की विशेषताएं | Puraskar Kahani Jai Shankar Prasad

 पुरस्कार कहानी की विशेषताएं

पुरस्कार कहानी जयशंकर प्रसाद के द्वारा लिखी गई कहानी है पिछले पोस्ट में हमने बात किया था पुरस्कार कहानी के उद्देश्य के बारे में इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं पुरस्कार कहानी की विशेषताओं के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं। 

पुरस्कार कहानी विशेषता


पुरस्कार कहानी की विशेषताएं तत्वों के आधार पर 


कोई कहानी कहानी तभी मानी जाती है जब उसमें मुख्य तत्व जैसे की कथावस्तु, पात्र, कथोपकथन, वातावरण, भाषा-शैली, उद्देश्य जैसी मुख्य बातें शामिल हों। 

पुरस्कार कहानी की कथावस्तु - 

पुरस्कार कहानी की कथावस्तु बहुत ही सरल एवं सुबोध है जो की उस समय की दशा का वर्णन करने में सफल रही है जिस समय कौशल और दुर्ग के मध्य संघर्ष चल रही थी पुरस्कार कहानी में राज्य के माध्यम से राष्ट्र प्रेम को प्रदर्शित किया गया है।

पुरस्कार कहानी का पात्र अथवा चरित्र चित्रण -

पुरस्कार कहानी के दो मुख्य पात्र हैं जिनका बखूबी चरित्र चित्रण किया गया है इस कहानी की नायिका मधुलिका है जो की सरल स्वभाव की लड़की है और एक किसान की कन्या है, तथा अरूण एक युवराज है जो की योद्धा के भाँती व्यवहार करता है। 

पुरस्कार कहानी कथोपकथन या संवाद -

पुरस्कार कहानी की संवाद योजना सराहनीय है क्योकि इसको पढ़ते वक्त आपको लगता है की वह घटना जैसे आपके आँखों के सामने घटित हो रहा है। देशकाल और वातावरण के हिसाब से संवाद योजना बहुत ही बढ़िया है। 

पुरस्कार कहानी का देशकाल अथवा वातावरण -

इस पुरस्कार कहानी में जयशंकर प्रसाद ने बहुत ही अच्छे ढंग से देशकाल और वातावरण को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जैसे की कुछ पंक्ति देखें जो वहां की स्थिति के बारे में बताती हैं -स्वर्णमंच पर कोशल नरेश अर्धनिंद्रित अवस्था में आंखें मुकुलित किए हैं। एक चामरधारिणी युवती पीछे खड़ी अपनी कलाई बड़ी कुशलता से घुमा रही है। चमर के शुभ आंदोलन उस कोष्ट में धीरे-धीरे संचालित हो रहे हैं। तांबूल वाहिनी प्रतिमा के समान दूर खड़ी है। 

पुरस्कार कहानी की भाषा-शैली -

पुरस्कार कहानी की भाषा-शैली की बात करें तो यह उसके देशकाल और वातावरण के हिसाब से अत्यंत ही मधुर है और जिस प्रकार एक राजा के बोलने की शैली है वह बहुत ही सराहनीय है जैसे राजा का संवाद देखें - "कृषक बालिके ! वह बड़ी ऊबड़-खाबड़ भूमि है। तिस पर वह दुर्ग के समीप एक सैनिक महत्व रखती है। "

यहां पर संचार कौशल का बड़े सुंदर ढंग से प्रयोग किया गया है। 

पुरस्कार कहानी का उद्देश्य - 

पुरस्कार कहानी अपना उद्देश्य प्रस्तुत करने में सफल रहा है। पुरस्कार कहानी का केवल एक उद्देश्य नहीं है इस कहानी के माध्यम से जयशंकर प्रसाद ने न केवल एक उद्देश्य को पूर्ण किया है। बल्कि उसके अनेक उद्देश्य हैं जो की इस कहानी को पढ़ने से पता चलता है। 

किसी भी प्रकार के सुझाव हो सोशल मिडिया के माध्यम से साझा करें धन्यवाद !

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