1. काव्य प्रयोजन कितने होते हैं?
उत्तर - यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका सटीक उत्तर दे पाना बहुत कठिन है क्योंकि काव्य का प्रयोजन कवि के अनुसार कुछ भी हो सकता है। लेखक का भी अपना एक प्रयोजन होता है और पहले जमाने में तो संस्कृत आचार्यों ने गद्य को भी काव्य माना है।
इस संबंध में संस्कृत का यह श्लोक है - ' गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति। ' अर्थात गद्य कवियों की कसौटी है।
इस प्रकार साहित्य-सृजन में साहित्यकार के जो भी उद्देश्य रहते हैं, वे ही साहित्य अथवा काव्य के प्रयोजन कहलाते हैं।
इस संबंध में विभिन्न विद्वानों ने अनेक प्रकार से अपने मत प्रस्तुत किये और भिन्न-भिन्न प्रकार के काव्य प्रयोजन माना कुछ उदाहरण देखें -
भरतमुनि - लोकमंगल या लोकहित, आनंद को
भामह - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को काव्य का प्रयोजन माना है साथ ही कीर्ति और प्रीति भी इन्होने माना है।
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Kavya prayojan kitane hote hai?
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