1. संस्कृत के आचार्यों के अनुसार काव्य के लक्षण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - संस्कृत के आचार्यों के अनुसार काव्य के लक्षण इस प्रकार हैं -
संस्कृत के विभिन्न आचार्य जिनके काव्य लक्षण यहां प्रस्तुत किये गए हैं -
- भामह
- आचार्य रुद्रट
- आचार्य वामन
- आचार्य आनंदवर्धन
- आचार्य कुंतक
- आचार्य मम्मट
सबसे पहले भामह का काव्य लक्षण देखते हैं -
1. भामह -
संस्कृत के आचार्यों में सर्वप्रथम भामह ने ही काव्य का लक्षण प्रस्तुत करते हुए लिखा है -
शब्दार्थौसहितौ काव्यम।
(शब्द और अर्थ मिलकर काव्य होते हैं।)
2. आचार्य रुद्रट -
इसी प्रकार की बात आचार्य रुद्रट ने कही है। इसके बाद आचार्य दण्डी का क्रम आता है। उन्होंने लिखा है -
इष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली।
(इष्ट अर्थ को व्यक्त करने वाली पदावली काव्य है।)
3. आचार्य वामन -
इसके बाद आचार्य वामन ने रीति को काव्य की आत्मा माना है -
रीतिरात्मा काव्यस्य।
4. आचार्य आनंदवर्धन -
आचार्य आनन्दवर्धन के अनुसार काव्य की आत्मा ध्वनि है -
काव्यस्य आत्मा ध्वनिः।
5. आचार्य कुंतक -
आचार्य कुंतक ने काव्य का लक्षण विस्तार से लिखा है।
शब्दार्थौ सहितौ वक्र कवि व्यापार शालिनी।
बन्धे व्यवस्थितौ काव्यं तद विदाह्लाद कारिणीं।।
(आनंददायक और व्यवस्थित शब्दार्थ से युक्त, कवि व्यापार सहित सुन्दर रचना काव्य होती है।)
6. आचार्य मम्मट -
आचार्य मम्मट के अनुसार दोषहीन, अलंकारयुक्त और कहीं अलंकारहीन शब्दार्थ काव्य होता है -
तददोषै शब्दार्थौ सगुणावनलङ्कृती पुनः क्वापि।
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Sanskrit aacharyon ke anusar kavya ke lakshan par prakash daliye?
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