काव्य के हेतुओं का विवेचन कीजिए।

1. काव्य के हेतुओं का विवेचन कीजिए। 

काव्य के हेतुओं का विवेचन

उत्तर - हिंदी साहित्य में विभिन्न भारतीय आचार्यों ने अपने अपने मत के अनुसार काव्य हेतु को माना है जो की इस प्रकार है -

* भामह - भारतीय आचार्यों में सबसे पहले भामह ने काव्य के तीन हेतु प्रतिभा, व्युत्पत्ति और अभ्यास को माना है।

* आचार्य दण्डी - इसके बाद आचार्य दण्डी ने भी काव्य के तीन हेतु माने हैं तथा आचार्य वामन के काव्य-हेतुओं में केवल शब्द का अंतर है। उन्होंने काव्य के तीन हेतु प्रतिभा, अध्ययन तथा अभ्यास माने हैं। 

* आचार्य वामन - इन्होंने लोक व्यवहार, शास्त्र, शब्दकोश आदि काव्य के अनेक हेतु माने हैं, पर सबसे अधिक महत्व प्रतिभा को दिया है। 


* आचार्य रुद्रट - इन्होने भी काव्य-हेतु को दण्डी के समान माना है। 

* आचार्य आनंदवर्धन - आचार्य आनंदवर्धन ने भी काव्य हेतुओं में प्रतिभा को ही सबसे अधिक महत्व दिया है। 

* आचार्य राजशेखर - इन्होने प्रतिभा और व्युत्पत्ति को समान रूप से काव्य का हेतु स्वीकार किया है। 

* आचार्य मम्मट - ने स्वाभाविक प्रतिभारूपी शक्ति, लोकव्यवहार, काव्य आदि के अध्ययन से प्राप्त निपुणता और गुरु की शिक्षा प्राप्त अभ्यास को काव्य का सम्मिलित हेतु माना है। 

    इस प्रकार प्रतिभा, व्युत्पत्ति, अभ्यास तथा अवधान अर्थात सावधानी से अधिक काव्य हेतु किसी भी आचार्य ने स्वीकार नहीं किये हैं। 

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Kavya ke hetuon ka vivechan kijiye?

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