प्रश्न 1. अलंकार सम्बन्धी मूल स्थापनाओं का परिचय दीजिये।
उत्तर -
अलंकार सम्बन्धी स्थापनाओं का परिचय
इस प्रकार है -
सबसे पहले अलंकारों की बात करें तो यह संस्कृत के आचार्यों के द्वारा प्रमुखता से प्रयोग में लाया गया अलंकार सम्प्रदाय के आचार्यों में पूर्व स्थान अग्निपुराणकार आचार्य वेदव्यास का है। उन्होंने अलंकारों को काव्य की शोभा बढ़ाने वाला धर्म स्वीकार किया है। इसके बाद आचार्य भामह ने नारी के सुन्दर मुख को भी अलंकारहीन होने की दशा में शोभाकारक नहीं माना है -
न कान्तमपि निर्भूषम विभाति वनिता मुखम।
आचार्य भामह का अलंकार-संबंधी यह कथन अग्निपुराण के निम्नलिखित कथन पर आधारित हैं -
अर्थालंकार रहिता विधवेव सरस्वती।
काव्य के मुख्य तत्व के रूप में अलंकार की स्थापना -
यह स्थापना सबसे पहले आचार्य भामह ने की। ' चंद्रालोक ' के रचयिता पीयूषवर्ष जयदेव ने आचार्य भामह का सशक्त समर्थन किया है। आचार्य मम्मट ने कहीं अलंकारविहीन तथा निर्दोष शब्दार्थ को काव्य माना। इसका विरोध करते हुए पीयूषवर्ष जयदेव ने कहा कि जो व्यक्ति अलंकारविहीन शब्दार्थ को काव्य स्वीकार करता है, वह अग्नि को शीतल क्यों नहीं मान लेता?
आचार्य भामह ने उक्ति की विचित्रता की अलंकार के रूप में स्थापना की है। आचार्य भामह ने सभी अलंकारों में वक्रोक्ति की तथा आचार्य आनंदवर्धन ने अतिश्योक्ति की श्रेष्ठता की स्थापना की है।
Alankar sambandhi mool sthapnao ka parichay dijiye?
अपने कीमती अनुभव हमारे साथ जरूर शेयर करें यह पोस्ट कैसा लगा?
Post a Comment