प्रश्न 13. गुणीभूत व्यंग्य काव्य परिचय दीजिए।
गुणीभूत व्यंग्य काव्य
उत्तर- आचार्य मम्मट ने अपने काव्य प्रकाश में काव्य की परिभाषा करने के पश्चात् उसके निम्नलिखित तीन भेद किये हैं।
- उत्तम काव्य - वाच्य अर्थ की अपेक्षा व्यंग्य अर्थ में अधिक चमत्कार होने से वह उत्तम कहलाता है।
- मध्यम काव्य - जहाँ पर वाच्यार्थ की अपेक्षा व्यंग्यार्थ में अधिक चमत्कार नहीं होता, उसे मध्यम काव्य कहा जाता है। उसे गुणीभूत व्यंग्य काव्य भी कहते हैं।
- चित्र काव्य - व्यंग्य से रहित काव्य चित्र काव्य होता है, इसे अधम काव्य भी कहा जाता है।
प्रसिद्ध ध्वनिवादी आचार्य मम्मट ने अपने 'काव्य प्रकाश' में गुणीभूत व्यंग्य काव्य का जो लक्षण प्रस्तुत किया है,
उसका अनुवाद निम्न प्रकार है -
जहाँ पर वाच्यार्य विवक्षित होता हुआ भी व्यंग्यनिष्ठ होता है, वहां विवक्षित वाच्य ध्वनि नामक द्वितीय भेद होता है। यह विवक्षित वाच्य ध्वनि एक असंलक्ष्य क्रम व्यंग्य और दूसरा लक्ष्य व्यंग्य होता है। अलक्ष्य पद से सूचित होता है कि विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव ही रस नहीं हैं, उनसे रस अभिव्यक्त होता है इसलिए इनमें क्रम तो है पर शीघ्रता के कारण परिलक्षित नहीं होता अर्थात् उसकी प्रतीति नहीं हो पाती।
Gunibhoot vyangya kavya parichay dijiye?
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