प्रश्न 7. यूरोपीय साहित्य के अभिव्यंजनावाद पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - अभिव्यंजनावाद की स्थापना इटली के दार्शनिक क्रोचे ने की। हिन्दी का अभिव्यंजना शब्द अंग्रेजी के 'रोमाण्टिसिज्म' का अनुवाद है। इस विचारधारा को जर्मनी के लेसिंग, विकलमेन और गेटे ने बल दिया। लेसिंग का सिद्धान्त सौन्दर्य सिद्धान्त कहलाता है। विकेलमेन ने सौन्दर्य को आगे बढ़ाकर कला में अभिव्यंजना अर्थात् अभिव्यक्त्ति को आवश्यक बताया।
अभिव्यंजनावाद एक कला सिद्धान्त है। किसी कलाकृति के समग्र प्रभाव को हमारी आत्मा जब विशुद्ध रूप में अपनी क्षमता के अनुसार ग्रहण करती है और उसे उसी रूप में प्रकट करती है, यही अभिव्यंजनावाद है। अभिव्यंजना के दो रूप हो सकते हैं -
(क) अन्तः संस्कार अथवा आत्म-संवेदना - इसका तात्पर्य किसी कलाकृति को देखकर मन पर पड़ने वाले प्रभाव से है।
(ख) अभिव्यंजना को स्वयं प्रकाश ज्ञान और सौन्दर्य भी कहा गया है।
क्रोचे ने अभिव्यंजना को ही कला माना है। उसके अनुसार स्वयं प्रकाश ज्ञान सहज अनुभूति है।
Europiya sahitya ke abhivyanjanavad par prakash daliye.
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