प्रश्न 3. ऐतिहासिक आलोचना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - ऐतिहासिक आलोचना पद्धति में आलोचक तत्कालीन परिस्थितियों का विश्लेषण कर उसकी पृष्ठभूमि में किसी कृतिकार की कृतियों की परीक्षा (समीक्षा) करता है। रामकाव्य की रचना बाल्मीकि, तुलसी, केशव, मैथिलीशरण गुप्त ने की किन्तु उनकी कृतियों में पाया जाने वाला अन्तर तद्युगीन परिस्थितियों की देन है जब तक युगीन इतिहास को नहीं समझा जायेगा तब तक सही आलोचना नहीं हो सकती।
ऐतिहासिक आलोचना ने समीक्षा को नई दिशा दी है। हिन्दी साहित्य के इतिहास ग्रन्थों में कवियों और उनकी कृतियों की समीक्षा तद्युगीन परिस्थितियों के आलोक में ही की गयी है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी एवं आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की समीक्षा पद्धति में ऐतिहासिक आलोचना की विशेषताएँ देखी जा सकती है।
Aitihasik aalochana per Prakash daliye.
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मनोविश्लेषणवादी आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 2. तुलनात्मक आलोचना पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 3. ऐतिहासिक आलोचना पर प्रकाश डालिए।
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