डॉ नगेन्द्र मनोवैज्ञानिक समीक्षक क्यों है ?

 प्रश्न 4. डॉ नगेन्द्र मनोवैज्ञानिक समीक्षक क्यों है ?

उत्तर - डॉ. नगेन्द्र मनोवैज्ञानिक समीक्षक के रूप में स्वीकार किये जाते है, यद्यपि वे भी छायावाद युग के ही हैं। डॉ. नगेन्द्र ने मनोवैज्ञानिक भूमिका पर काव्य के स्वरूप का निर्माण किया है। काव्यानुभूति को उन्होंने ऐन्द्रिय और बौद्धिक अनुभूति के मध्य की वस्तु माना है। उन्होंने लिखा है कि काव्यानुभूति है तो ऐन्द्रिय अनुभूति, परन्तु साधारण नहीं, मानित (contemplated) अनुभूति है। काव्यानुभूति ऐन्द्रिय अनुभूति के समान प्रत्यक्ष और तीव्र नहीं होती।

इसका कारण यह है कि यह प्रत्यक्ष घटना का अनुभव नहीं है। आवना में पहले कवि फिर दर्शक या सहृदय को बुद्धि का उपयोग करना पड़ता है। इस प्रकार यह एक भिन्न प्रकार का संवेदन है और "मैं कविता या कला के पीछे आत्माभिव्यक्ति की प्रेरणा मानता हूँ चूँकि आत्म के निर्माण में कामवृत्ति या अतृप्तियों का योग है, इसलिए इस प्रेरणा में उनका विशेष महत्व मानता हूँ।" डॉ. नगेन्द्र के उपर्युक्त शब्द इन्हें मनोवैज्ञानिक समीक्षक के रूप में ही सिद्ध करते हैं।

Doctor Nagendra manovaigyanik samikshak kyon Hain.

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मनोविश्लेषणवादी आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 2. तुलनात्मक आलोचना पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 3. ऐतिहासिक आलोचना पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 4. डॉ नगेन्द्र मनोवैज्ञानिक समीक्षक क्यों है ?

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