प्रश्न 1. मनोविश्लेषणवादी आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - आलोचना के भेदों में मनोविश्लेषणवादी आलोचना का महत्वपूर्ण स्थान है। मनोविज्ञान के सिद्धान्तों के आधार पर पात्रों का मनोविश्लेषण करते हुए जब किसी साहित्यिक कृति की समीक्षा की जाती है तब उसे मनोविश्लेषणवादी समीक्षा कहा जाता है।
फ्रायड, एडलर एवं युंग ने यह प्रतिपादित किया कि मानव मन में दमित काम-भावनाएँ, कुंठाएँ विद्यमान रहती हैं। अचेतन में दमित ये कुण्ठाएँ एवं काम-भावनाएँ मानव के बाह्य क्रिया-कलापों को प्रभावित करती हैं अतः साहित्य का विश्लेषण इसी के सन्दर्भ में होना चाहिए। हीनता ग्रन्थि भी व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करती है। इस आलोचना पद्धति में कृति के साथ-साथ कृतिकार की मानसिक स्थितियों का विश्लेषण किया जाता है। साहित्य रचना प्रक्रिया का मनोविज्ञान के मान्य सिद्धान्तों के आधार पर विश्लेषण करना मनोविश्लेषणात्मक आलोचना है। हिन्दी में अज्ञेय, जैनेन्द्र एवं इलाचन्द्र जोशी की औपन्यासिक कृतियों का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है।
Manovishleshan vadi aalochana paddhti per Prakash daliye.
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मनोविश्लेषणवादी आलोचना पद्धति पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 2. तुलनात्मक आलोचना पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 3. ऐतिहासिक आलोचना पर प्रकाश डालिए।
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